जीवन में ह्रदय के उदगार विभिन्न रूप में प्रकट होते हैं.कभी कहानी कभी कविता से भरा ये ब्लॉग.....
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रविवार, 31 अक्तूबर 2010
poem-maa
माँ! तेरे जैसा कोई नहीं! हम सब गलत बस तुम ही सही. तुम्हरे आँचल की छाया में; सब कुछ हमने पाया. तुम्हारा स्नेह पाकर ही हमने पाई है ये काया. ''तुम हो तो हम है तुम नहीं तो हम नहीं''. माँ! तेरे जैसा कोई नहीं!
4 टिप्पणियां:
सच में माँ जैसा कोई नहीं होता.... बहुत अच्छी कविता...
वाकई में माँ जैसा कोई नहीं.कभी वो देवकी का रूप धरती है और कभी वो यशोदा बन जाती है.लेकिन माँ का महत्त्व और ममता कभी कम नहीं होती है.
शिखा जी!बहुत ही अच्छा लिखती हैं आप.
शुभकामनाएं स्वीकार करें.
हाँ शिखा दीदी माँ सबसे अच्छी होती है....
bahut accha prayaas..ek aur baat mamta ko sabdo me nahi utaaar sakte..jaise niraakaar iswar ko nahi..
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