जीवन में ह्रदय के उदगार विभिन्न रूप में प्रकट होते हैं.कभी कहानी कभी कविता से भरा ये ब्लॉग.....
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गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010
jeevan-naiya
जब अँधेरा ही अँधेरा सामने दिखलाई दे; एक कदम भी आगे रखने क़ा न हौसला रहे; तब प्रभु के हाथ जीवन-नैया को तू छोड़ दे; वो चाहें तो पार उतारें; वो चाहें तो लील दें.
1 टिप्पणी:
Aisa karne se to koi chinta hi nahin rahati...sunder...sakaratmak
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