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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

poem-gareebon se puchhiye...

लगातार कितने
घंटों से
हो रही है
बारिश;
 अमीरों के लिए
एक मनमोहक
सुहावना
मौसम है ये;
पर कच्चे घरों में
रहने वाले और रोज
मजदूरी कर ने वाले
उन इंसानों से पूछिये
जिन्हें शायद
रोज मिलने
वाली दो
'रोटियों' में से
आज आधी भी
न मिल पायेगी.

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