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गुरुवार, 29 मार्च 2012

स्त्रियों की उम्र -पुरुषों का विमर्श


  स्त्रियों की उम्र  -पुरुषों   का  विमर्श  


पन्द्रह   की  हो  गयी  हो  
सलीके  से  रहो  ; 
घर  का  काम सीख  लो  
ससुराल   में  नाक  मत  कटवाना  
सिलाई  सीख  लो  
सीख  लो  खाना  बनाना ! 
बीस  से ऊपर  हो गयी 
अब  तक  विवाह  नहीं   हुआ  ;
लड़की   में खोट   है  या 
बाप  पर  नहीं   दहेज़   
के   लिए नोट हैं !

पैतीस की होने आई 
एक बेटा न पैदा कर पायी ;
तीन तीन बेटियां 
पैदा कर 
पति की चिंता बढ़ाई !
पैतालीस में ही 
बुढ़िया सी लगती है ;
ऐसी फब्तियां   हर   
स्त्री   पर  
पुरुष द्वारा कसी जाती  हैं !

पुरुष  इस  पर  भी    
स्त्रियों पर लगाते   हैं इल्ज़ाम 
''स्त्रियाँ उम्र  छिपाती  हैं ''
क्या  बताएं  स्त्रियाँ 
पुरुष वर्ग  को  
स्त्रियों की  उम्र उनसे  पहले  ही  
पुरुषों   को   पता  चल  जाती   है !

पुरुषों के   इस आचरण   
से एक  बात  समझ  आती है 
ऐसी  बाते  करते   पुरुष 
वर्ग को कभी  शर्म   
नहीं  आती है ! ! !

                              shikha kaushik 


बुधवार, 28 मार्च 2012

जूनून जूनून हमें हॉकी का जूनून


जूनून जूनून हमें हॉकी का जूनून 


भारतीय हॉकी पुरुष  टीम को लन्दन ओलंपिक हेतु हार्दिक शुभकामनायें !





मैदान में आ संभल कर जरा ;
हमसे न ऐसे आखें मिला ;
स्टिक नहीं ये तलवार है ;
भिड़ने को हम भी तैयार हैं ;
उबलने लगा हमारा भी खून  !
जूनून जूनून हमें हॉकी का जूनून !


चुनौती  नहीं ये ललकार है 
आ जा अगर स्वीकार है ;
हमको यकीन होने वाला है ये ;
जीत हमारी तेरी हार है ;
हराकर ही तुझको आये सुकून !
जूनून जूनून हमें हॉकी का जूनून !
                         जय हिंद! जय भारत   !
                      शिखा कौशिक  




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''मिशन  लन्दन ओलम्पिक  गोल्ड  ''

मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड

मंगलवार, 20 मार्च 2012

भारतीय हॉकी पुरुष टीम को अग्रिम शुभकामनायें !

भारतीय हॉकी पुरुष  टीम  को अग्रिम शुभकामनायें !




भारतीय हॉकी पुरुष  टीम  को  मैं  अपने इस  प्रेरक  सन्देश  द्वारा ''लन्दन ओलेम्पिक   '' हेतु अग्रिम शुभकामनायें देती हूँ -
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मुकद्दर को नहीं अपने कभी इल्ज़ाम  देते हैं ;
जो अपने बाजुओं से काम को अंजाम देते हैं .

नहीं वे टेकते घुटने कभी दुश्मन  के सामने ;
बड़े ही सब्र से वे हर इम्तिहान देते हैं .

ज़मी  पर तोड़ कर ला देते तारे आसमां  के  वो ;
है मुश्किल कुछ नहीं उनके लिए जो ठान लेते   हैं .

जो अपने हौसलों से  दुश्मनों  को  पस्त  कर देते;
वो अपने मुल्क  का  दुनिया  में  बड़ा  नाम  करते  हैं .

जो रखते हैं इरादे दिल में फौलाद के ''शिखा  ''
वो आगे  बढ़कर  हर तूफ़ान थाम देते हैं .

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''मिशन लन्दन  हॉकी  गोल्ड  ''



                                             शिखा कौशिक 






रविवार, 18 मार्च 2012

''तलाक '' हो जाता है !

''तलाक '' हो जाता है !

[photos google se sabhar ]


भावी पति की चाहत 
भावी पत्नी के बाल 
लम्बें होने चाहिए 
भावी पत्नी के बाल 
बढ़ जाते हैं झट से .


पति की चाहत 
पत्नी न पहने 
आधुनिक परिधान  
पत्नी साड़ी में 
लिपट  जाती है . 


पतिदेव की चाहत 
पत्नी रहे चौखट 
के भीतर..पत्नी 
घर में सिमट जाती है .


पत्नी की चाहत 
पतिदेव मुझे एक 
मानवी का सम्मान 
 तो दें कम से कम 
''तलाक '' हो जाता है .


                            शिखा कौशिक 
                             [विख्यात ]



गुरुवार, 15 मार्च 2012

हॉकी -'हिंदी'' पीती अपमान का गरल !

   हॉकी  -'हिंदी'' पीती अपमान का गरल !

 

एक  दिन  हॉकी  मिली   ;
क्षुब्ध   थी  ,उसे रोष  था,
नयन  थे अश्रु  भरे 
मन में बड़ा आक्रोश था .


अपमान की व्यथा-कथा   
संक्षेप  में उसने कही ;
धिक्कार !भारतवासियों   पर 
उसने कही सब अनकही .




पहले तो मुझको बनाया 
देश का सिरमौर  खेल ;
फिर दिया गुमनामियों के
 गर्त में मुझको धकेल .


सोने  से झोली  भरी  
वो मेरा ही दौर था ,
ध्यानचंद से जादूगर थे  
मेरा रुतबा  और था .


कहकर रुकी तो कंधे पर 
मैं हाथ  रख  बोली  
सुनो अब बात  मेरी 
हो न यूँ  दुखी भोली .


अरे क्यों रो रही है अपनी दुर्दशा पर ?  
कर इसे सहन  
मेरी तरह ही  पीती रह 
अपमान का गरल 
मैं ''हिंदी'' हूँ बहन !
मैं'' हिंदी '' हूँ बहन !!


                                    शिखा कौशिक 
                      [हॉकी -हमारा राष्ट्रीय  खेल ]

रविवार, 11 मार्च 2012

भारत में लोकतंत्र है ?


कौन कह सकता भला भारत में लोकतंत्र   है ?
माफिया का राज अब  नित नया षड्यंत्र   है  .






जो गिरेबां  की तरफ बढ़ आये हाथ न्याय   का  ;
''काट दो उस   हाथ  को '' ये  अपराधियों  का  मन्त्र   है  .



जो  भी  ईमानदार हो उसको जला   दो  आग  में  ;
कुछ  भी  यहाँ करने  को बेईमान  अब स्वतंत्र है  .





देश जो शांति का था कभी स्थाई सदन ;

आज पलटा रूप हथियारों का  ये संयंत्र है  .


माफिया हैं  हुक्मरान या  हुक्मरान  माफिया 
सच  कहे   कैसे  जुबां ?  भयभीत  स्वरयंत्र  है  .


                                                        SHIKHA  KAUSHIK 


शनिवार, 10 मार्च 2012

ये सोच के सिर झुक जाता है




दंगों  की आड़  में  औरत  की  अस्मत  को  लूटा  जाता है ;
हम कुछ भी न कर पाते हैं ये सोच के सिर झुक जाता है !


जब  सच्चाई  को  ट्रेक्टर  से  कुचला  जाता  है 
हम  कुछ  भी  न  कर  पाते  हैं   ये  सोच  के  सिर   झुक  जाता  है !

 
 
सोती जनता को रातों   में लाठी से पीटा   जाता है ;
                                       हम कुछ भी न कर पाते हैं ये सोच के सिर झुक जाता है !
                                                                  
                                                            


                                         जनता  भूखी -नंगी  बैठी और  पार्क बनाया  जाता है ;
                                              हम कुछ भी न कर पाते हैं ये सोच के सिर झुक जाता है !

GOOGLE से साभार 
                                      पैसे देकर अख़बारों  में झूठा सच्चा  छप जाता है ;
                                      हम कुछ भी न कर पाते हैं ये सोच के सिर झुक जाता है !
                                                                        
                                                     शिखा  कौशिक 

गुरुवार, 8 मार्च 2012

माँ-बाप को ही दे दिया इतना बड़ा धोखा !



माँ-बाप जिन बच्चों को नाज़ों से पालते ;
होकर बड़े क्यों वे उन्हें घर से निकलते ?

बचपन में जिनसे पूछकर करते थे सभी काम ;
होकर बड़े उन्ही में कमियां निकालते !

लाचार हैं;बेबस हैं;किसी काम के नहीं  ;
कहकर ये बात जले पर नमक हो डालते !

अपने तो शौक करते हो शान  से पूरे ;
माँ-बाप के हर काम को कल पर टालते !

माँ-बाप को ही दे दिया इतना बड़ा धोखा ;
जो  उम्रभर  रहे  तुमको  सँभालते  !

                                  शिखा कौशिक 


 

दो हॉकी को मौका !




ना छक्का ना चौका ;
दो हॉकी को मौका ;
सजा लो लबों पर बोल 
कर दे गोल ..........कर दे गोल ! 




shikha   kaushik  

बुधवार, 7 मार्च 2012

राधा- श्याम फागुन में मानते हैं होली !




होली पर्व   की हार्दिक  शुभकामनायें  !



राधा- श्याम फागुन में मानते हैं होली !



 ब्रज का छोरा , बरसाने की छोरी ,
                                                         कान्हा मीठा बेर , राधा गन्ने की पोरी ,
                                                          श्याम संग राधा लगें कितनी सलोनी ,
                                                                फागुन में दोनों मानते हैं होली !
                                                  [पूरा  सुने ऊपर दिए  वीडियों पर क्लिक कर ]
                                                                                                                   [भक्ति -अर्णव ]

                                                                                            शिखा कौशिक 


सोमवार, 5 मार्च 2012

'विश्व पुस्तक मेला''-एक छोटी सी झांकी



3 मार्च २०१२ को मैं अपने पिता जी के साथ दिल्ली ''विश्व पुस्तक मेला'' भ्रमण पर गयी थी .वहीँ मैंने कुछ फोटोस  मोबाइल से लिए  हैं .यदि आप यहाँ नहीं जा  पायें  हैं तो एक  छोटी  सी झांकी  का  आनंद तो ले ही सकते हैं -

११ number   के पैवेलियन का प्रवेशद्वार 
हिंदी के सभी चर्चित प्रकाशकों की  स्टॉल इसी में थी 


मेरे पिता जी ''नक्षत्र''के पैवेलियन में 
इसमें ज्योतिष की पुस्तकों के अतिरिक्त  ज्योतिष सम्बंधित सामान की स्टॉल  भी थी 



गीता प्रेस की स्टॉल 
इसके विषय में सभी का विचार था कि
इस पर हमेशा  भीड़ रहती  है क्योकि इस प्रकाशन में बहुमूल्य  पुस्तकें कम कीमत पर उपलब्ध है 

एक प्रकाशन ने माता सरस्वती जी की यह 
प्रतिमा स्टॉल पर लगाई जो अनायास ही सबका ध्यान आकर्षित कर रही थी 

भारत सरकार की विधि साहित्य की इस  स्टॉल का भी हमने अवलोकन किया .

वाणी प्रकाशन की स्टॉल बहुत   आकर्षक लगी  .
नेशनल बुक  ट्रस्ट की स्टॉल भी दर्शकों के लिए पलकें बिछाए थी .
दर्शकों की सूचनार्थ इस तरह के सूचना-पट्टिकाएं  भी लगाई  गयी  थी 
यह राजकमल प्रकाशन की सूचना पट्टिका है .
किताबघर  प्रकाशन की स्टॉल में भी भ्रमण किया हमने .

ये महाशय ! बने बच्चों की पहली पसंद तो मैंने भी 
इन्हें रोककर ले लिया  इनका एक फोटो . 

यही  भेंट हुई DDnews  के SR .CORRESPONDENT  
श्री गिरीश निशाना जी से [दायें]
यहाँ भी अन्ना के आन्दोलन से जुड़ने का 
आह्वान   करती   एक   स्टॉल   लगाई   गयी   थी   
युवा वर्ग के लिए यह मुख्य आकर्षण का केंद्र  रही  .
मेरे द्वारा ली गयी कुछ पुस्तकें .

आशा है पुस्तक मेले रुपी अर्णव की एक बूँद रुपी यह झलक आपको भायी होगी .कैसी लगी आपको यह प्रस्तुति जरूर बताएं !
होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 

शिखा कौशिक 
























रविवार, 4 मार्च 2012

ये है मिशन लन्दन ओलंपिक !

आठ साल बाद  मिला मौका 
लक्ष्य हो बस गोल्ड मेडल -


ये है मिशन लन्दन ओलंपिक !

मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड

 


हम दिल से खेलेंगे ,जान लड़ा देंगे ;
अपनी हॉकी का जलवा दुनिया को दिखा देंगें ;
हम हॉकी के जादूगर ;इतिहास दोहरा देंगें ;
लन्दन में अपनी जीत का परचम लहरा देंगें .


                                     शिखा कौशिक 



गुरुवार, 1 मार्च 2012

जय श्री राधेकृष्ण !




नन्हा  सा  कान्हा  चले  है  ठुमककर ;
माता  जसोदा  देंखें हुलसकर  ;


चलते  हुए  जब  जरा   डगमगाए   ;
माँ  का  हिया   बड़ा  घबराये  ;
बाँहों  में  भर  लेती  हैं  दौड़कर  !


पैय्या  के  घुंघरू जो छम छम छमकते ;
किलकारी मार  कान्हा कितने मचलते ;
लेती बलैय्याँ   माँ है झूमकर ! 



आँगन में आई एक चिड़िया गौरैय्या  ;
उसको पकड़ने को दौड़ें  कहैय्या ;
फुर्र से उडी ..देंखें हैं चौककर !

                                                           
                                                    नटखट कन्हैय्या की मोहक अदाएं ;
                                                   गोकुल के नर-नारी  ....सबको  लुभाएँ ;
                                                माँ-बाबा गोद लेते भाल चूमकर ! 
                                           नन्हा सा कान्हा चले है ठुमककर !
[sabhi photos google से sabhar ]
                                                           shikha kaushik