१४ फरवरी को सभी वेलेंटाइन डे मानते है .यह दिन है अपनों के प्रति अपनी हार्दिक शुभ भावनाओं को प्रकट करने की .यह मात्र प्रेम की ,स्नेह की ,लगाव की अभिव्यक्ति है.वेलेंटाइन कोई भी हो सकता है .प्रेमी,प्रेमिका ,माता ,पिता ,मित्र .....सभी .सभी हमारे मन में विराजते है .प्रेम भाव में भगवान की उपस्थिति को हमारे महान कवि सदा से मानते आये है .पवित्र भाव से किया गया प्रेम साथी को खुदा-फरिश्ते -प्रभु की संज्ञा तक दे डालता है .कबीर दास जी तो साफ़ कह ही गए हैं कि ''ढाई आखर प्रेम क़ा ....''.पवित्र भाव से इस दिन को समर्पित कीजिये अपने वेलेंटाइन को .कुछ इन्ही भावों को समेटे प्रस्तुत है यह ग़ज़ल --
'' वो इस तरह से मेरे करीब आता है
मेरी सांसों में अपनी खुशबू घोल जाता है .
मैं नहीं डरता दुनिया की किसी ताकत से
एक यही बात मेरे सामने दोहराता है .
बड़ा मुश्किल है एक पल को उसे भूल जाना
वो तो ख्वाबों में भी बेख़ौफ़ चला आता है .
वो मेरे वास्ते अब और क्या कर सकता है ?
हँस के वो मेरे आंसू भी पी जाता है .
उसके आने से लगता है कि मैं जिन्दा हूँ
वो मेरे सोये जज्बातों को जगा जाता है .
ग़मों की आग में जलने लगे जब मेरा मन
वो बनके साया तपने से बचाता है .
खुदा कहूँ या फ़रिश्ते क़ा उसे नाम दू
वो मेरा है ,वो मेरी रूह में समां जाता है ..''
'' वो इस तरह से मेरे करीब आता है
मेरी सांसों में अपनी खुशबू घोल जाता है .
मैं नहीं डरता दुनिया की किसी ताकत से
एक यही बात मेरे सामने दोहराता है .
बड़ा मुश्किल है एक पल को उसे भूल जाना
वो तो ख्वाबों में भी बेख़ौफ़ चला आता है .
वो मेरे वास्ते अब और क्या कर सकता है ?
हँस के वो मेरे आंसू भी पी जाता है .
उसके आने से लगता है कि मैं जिन्दा हूँ
वो मेरे सोये जज्बातों को जगा जाता है .
ग़मों की आग में जलने लगे जब मेरा मन
वो बनके साया तपने से बचाता है .
खुदा कहूँ या फ़रिश्ते क़ा उसे नाम दू
वो मेरा है ,वो मेरी रूह में समां जाता है ..''
4 टिप्पणियां:
bahut sundar bhavabhivyakti...
वाह वाह बहुत ही भावभीनी प्रस्तुति।
Fantastic!!!!!
बहुत ही बढ़िया लिखा है शिखा जी.
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