पुरस्कृत होंगे आतंकवादी जिन्होंने है बम विस्फोट किया , दिए जायेंगें लोथड़े मांस के जो उन्होंने बनाये हैं इंसानी जिस्मों के और साथ में उन जिस्मों में के दिलों में पलते सपनों के टूटे टुकड़े भी ! पुरस्कृत होंगे आतंकवादी जिन्होंने है बम विस्फोट किया , दिये जायेंगे ईनाम में माँ के आंसू जिन्होंने खोया है बच्चो को , तड़पते बच्चो की चीत्कारें जिन्होंने खोया है माँ अथवा पिता को और विस्फोट में शरीरों से अलग हुए अंग ,मासूमों की आहें ! पुरस्कृत होंगे आतंकवादी जिन्होंने है बम विस्फोट किया , दिए जायेंगे बद्दुआ के विपुल भंडार , और सड़कों पर बिखरा मासूमों का खून , क्योंकि तुम बन चुके हो हैवान मासूमों की हत्या का ये ही तो मिल सकता है ईनाम शिखा कौशिक 'नूतन '
मैं भारत हूँ सुन ले घाटी दिल की सारी गांठे खोल दहशतगर्दी मिटे मुल्क से संग-संग मेरे तू भी बोल .
दहशतगर्दी जो फैलाये करना उसका काम तमाम , नरम नहीं अब सख्त दिलों से लेना होगा हमको काम , मेरा बेटा-तेरा भाई सबको एक तराजू तोल ! दहशतगर्दी मिटे ..........................................
मासूमों के हत्यारों को फांसी देनी होगी रोज़ , अमन मिटाने वालों की नहीं मनेगी खूनी मौज , घाटी अपने खून में तू भी देश की भक्ति का रस घोल ! दहशतगर्दी मिटे .......................................... अगली पीढ़ी नहीं गोद में गद्दारों के खेलेगी , दहशत के अंधड़ को वो भला क्यों झेलेगी , उनको हम आतंक मिटाकर अमन का दें तोहफा अनमोल ! दहशतगर्दी मिटे ..........................................
देर न हो जाये घाटी आज जाग जा , मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा ! हिंदुस्तान जैसा आशिक न मिलेगा , गुमराह न हो सैय्याद की चाल जान जा ! जो हाथ थाम मेरा साथ चलेगी , मंजिल तरक्की की तुझे रोज़ मिलेगी , खामोश न रह मेरे संग चीख कर दिखा ! मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा !
नोंचने की है पडोसी की तो आदत , अस्मत बचाई तेरी देकर के शहादत , नादान न बन आ मेरी हिफाज़त में तू आ जा ! मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा !
करना है फैसला तुझे रख नेक इरादा , मेरी अज़ीज़ तू रही है जान से जयादा , है इश्क़ दूध मेरा केसर सी तू घुल जा ! मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा !
भरी दुपहरी जेठ की या सावन की बौछार , रोज हाथ में 'रोज़' लिए करते इंतजार ! सोते-जागते सुबह-शाम इसकी रहती है खोज , प्रॉमिस करते बड़े बड़े ,करते इसको प्रपोज़ ! गले लगाने को इसे हम सब हैं तैयार , पहने फूलों के हार भी जूतों की खाते मार ! अमर प्रेम इससे हमें करते हैं स्वीकार , चंचल चित्त की प्रेमिका प्रेमी बदले हर बार !
मेहरबान जिस प्रेमी पर उसकी बनती सरकार , नेताओं की प्रेमिका ''सत्ता'' की जय जयकार !!! शिखा कौशिक 'नूतन'