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गुरुवार, 30 सितंबर 2010

poem-inse badhkar

अभिलाषा ;आकांशा ;
इच्छा ;
इनसे बढ़कर ;
ईश..
अनादर ;आक्रोश ;
इतराना ;
इनसे बढ़कर ;
ईर्ष्या ;
ललक ;लालसा ;
लिप्सा ;
इनसे बढ़कर ;
लूटना ..
पतन ;पाप ;
पिपासा ;
इनसे बढ़कर ;
प्रपंच ..

बुधवार, 29 सितंबर 2010

tamanna- a short story

-----कितने रंग है दुनिया में लेकिन तुम तो बस अँधेरे में खो जाना चाहती हो जिसमे केवल kalaरंग है .मै तुम्हारे दुःख को जानती हूँ लेकिन इस तरह जीवन को बर्बाद करना तुम्हारी जैसी गुनी लड़की को शोभा देता है क्या ? तमन्ना अपने को संभालो !आज पुनीत से अलग हुए tumhe पूरे 6माह हो गए है, लेकिन तुम हो कि ..........'   ' नहीं दीदी aisi बात नहीं' तमन्ना बीच में ही बोल पड़ी  'aisa नहीं की मेरे मन में पुनीत के लिया कोई प्रेम या स्नेह है;वो तो उसी समय समाप्त हो गया था जब वो सीमा को हमारे घर में लाया था;वो घर उसी दिन से मेरे लिए नरक हो गया था' बहुत चाहते हुए भी मै इस हादसे से उबर नहीं पा रही . कुछ नया करने कि सोचती हूँ तो मन में  आता है कि कंही इसका अंत भी बुरा न हो ;बस यही सोचकर रुक जाती हूँ ' . पुण्या दीदी बोली ' देखो तमन्ना अगर कुछ करने कि ठान लोगी तो कम से कम इस निराशा के सागर से तो निकल जाओगी .मैंने तुम्हारे लिए अपने कॉलेज की प्रिंसिपल से बात की थी; वो कह रही थी क़िअगले १५ दिन में जब चाहो ज्वाइन कर सकती हो' .तमन्ना ने 'हाँ' में धीरे से गर्दन हिला दी .
                     अब tichar क़ि नौकरी ज्वाइन करे तीन माह बीत चुके थे. पुण्या दीदी से रोज मुलाकात होती . पुण्या दीदी ने बताया क़ि पुनीत का फ़ोन उनके पास आया था . वो तमन्ना से मिलना चाहता था . पुण्या दीदी के समझाने पर तमन्ना neउससे मिलने का फैसला किया . पहले पहल तो उस रेस्टोरेंट में बैठे हुए पुनीत को पहचान नहीं पाई तमन्ना .पहले पुनीत बड़ा जचकर रहता था लेकिन आज बढ़ी हुई दाढ़ी ;ढीला ढाला कुरता . पुनीत ने khdeहो कर उससे बैठने के लिई कहा और बोला ''तमन्ना मुझे माफ़ कर दो ;मैंने tumhe बहुत दुःख दिया लेकिन देखो उस नीच औरत ने मेरा क्या हाल कर दिया . प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो अब हम फिर से साथ साथ रहेंगे !'    ये सब सुनकर तमन्ना के hothhon पर कडवी मुस्कराहट तैर गयी ;वो बोली 'मिस्टर पुनीत शायद आपको यadनहीं जब मै आपके घर को छोड़कर आ रही थी ;तब आपने ही कहा था क़ि मुझमे ऐसा कुछ नहीं जो आप जैसे काबिल आदमी की पत्नी में होना चाहिए  . आज मै कहती हूँ क़ि आप इस काबिल नहीं रहे जो मै आपको अपना सकूं .'' इतना कहकर तमन्ना अपनी कुर्सी से खडी हो गयी और पर्स कंधे पर डालकर स्वाभिमान  के साथ रेस्टोरेंट के बाहर आ गयी .

मंगलवार, 28 सितंबर 2010

jeevan karm

हर  सुबह नई आशा  के साथ जागो;
 दिल में विश्वास रखो ऊपर वाले के प्रति;
गिरो अगर तो गिरकर संभालो खुद को;
जिन्दगी में जीत फिर तुम्हारी होगी!
ये मत सोचो क्या खो दिया;
रखो आशा कुछ पाने की;
मत रो अपनी विफलता पर ;
लिखो नयी इबारत कामयाबी की!
संघर्षो की राह पर चलकर  ;
मंजिल पालो सपनो की;
गम की गर्मी में तपकर ही
मिलेंगी सांसे राहत की!
जीवन कर्म का स्थल है;
आराम  यहाँ  कहाँ  करना  है;
निज  प्रयास
की क्यारी  को खुशियों  के फूलो 
 से  भरना  है !