लाखों किसान हमारे देश में रोज अपनी जीवन-लीला समाप्त कर रहें है .कितना दुखद है ! इसे ही लक्ष्य कर मैंने यह कविता लिखी है -
बुझ रही हर आस है ,
टूटता विश्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
*****************************
अन्न क़ा दाता स्वयं
एक ग्रास को तड़प रहा ,
मजबूरियों के डंक से
अभाव सर्प डस रहा ,
घुट रहा है दम
आती नहीं अब श्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
************************************
कट गए वो रेल से ,
जल गए वो आग में ,
रह गयी बस सल्फास
हाय इनके भाग में !
पी रही इनका लहू
सत्ता की कैसी प्यास है ?
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
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बुझ रही हर आस है ,
टूटता विश्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
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अन्न क़ा दाता स्वयं
एक ग्रास को तड़प रहा ,
मजबूरियों के डंक से
अभाव सर्प डस रहा ,
घुट रहा है दम
आती नहीं अब श्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
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कट गए वो रेल से ,
जल गए वो आग में ,
रह गयी बस सल्फास
हाय इनके भाग में !
पी रही इनका लहू
सत्ता की कैसी प्यास है ?
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
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12 टिप्पणियां:
सोचने को मजबूर करती है कविता.
अन्नदाता किसान का जब यह हाल होगा तो आम जनता की तो बात ही छोड़ दीजिये.
बुझ रही हर आस है ,
टूटता विश्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति..जब तक व्यवस्था संवेदनशील नहीं होगी, ज़िंदगी को उदास ही रहना होगा..बहुत भावपूर्ण..
jo aap soch rahi hain ye aaj sabhi ko sochna hoga anyatha anna ko har kisi ko tadapna hoga kyonki annadata ki peeda sabki peeda hai.bahut bhavpoorn rachna....
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
...सच कहा है , इसे पलटना जरूरी है !एक विचारोत्तेजक अच्छी रचना !
bhavpoorna rachana......ati sundar
achcha chintan...
किसानों के जीवन के निर्मम यथार्थ और कड़वाहट को आपकी रचना ने हू ब हू अभिवुँक्त कर दिया है ! अति संवेदनशील रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
अन्न क़ा दाता स्वयं
एक ग्रास को तड़प रहा ,
मजबूरियों के डंक से
अभाव सर्प डस रहा ,
घुट रहा है दम
आती नहीं अब श्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
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is udaasi ko sabko mahsoos karna hoga, tabhi koi parivartan mumkin hai
बुझ रही हर आस है ,
टूटता विश्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
संवेदनशील मनोभाव संजोये रचना ......
आजकल के समयों की बेहद मार्मिक और सटीक अभिव्यक्ति. बेहद खूबसूरत रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
बेहद मार्मिक...
जीवन के कटु यथार्थ को को मार्मिक शब्दों में व्यक्त करती एक सार्थक रचना !
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