एक प्रश्न
दहेज़- प्रथा पर
कितने ही निबंध
लिखें होंगें उसने;
कितना ही बुरा
कहा होगा;
लेकिन 'वो'
कली फिर से मसल
दी गई;
नाम 'पूनम' हो या 'छवि'
या कुछ और;
कब रुकेगा
कत्लों का
यह दौर?पूछती
है हर बेटी
इस मूक समाज से;
जो विरोध में
आते हैं दहेज़-हत्या के
क्या निजी तौर पर वे
भी नहीं लेते 'दहेज़'?
एक प्रश्न
जिसका नहीं है
आज किसी के पास
संतोषजनक जवाब....
दहेज़- प्रथा पर
कितने ही निबंध
लिखें होंगें उसने;
कितना ही बुरा
कहा होगा;
लेकिन 'वो'
कली फिर से मसल
दी गई;
नाम 'पूनम' हो या 'छवि'
या कुछ और;
कब रुकेगा
कत्लों का
यह दौर?पूछती
है हर बेटी
इस मूक समाज से;
जो विरोध में
आते हैं दहेज़-हत्या के
क्या निजी तौर पर वे
भी नहीं लेते 'दहेज़'?
एक प्रश्न
जिसका नहीं है
आज किसी के पास
संतोषजनक जवाब....
6 टिप्पणियां:
कथनी और करनी का अंतर भी हमारी बहुत समस्याओं की जड़ है...... सार्थक रचना शिखा ....
बिलकुल सही प्रश्न उठाया है आपने.कथनी और करनी में ये अंतर नहीं होना चाहिए पर अफ़सोस हमारे समाज में जो लोग दहेज़ के विरोध में बोलते हैं परदे के पीछे उन में से अधिकतर लालच से अछूते नहीं हैं.
_________
इस बसंत के मौसम में क्यों ...
किसी के पास जवाब नहीं है... दिखावा करने वालों के पास वैसे भी कैसे हो सकता है?
अभी हाल ही में दिल्ली में एक परिचिता को दहेज के लालच में मार दिया गया, जेल में है हत्यारा लेकिन एक निर्दोष के जीवन की तो बलि चढ़ गयी, सभी को मिलकर निर्णय लेना होगा कि इस बुराई को अब निकाल फेंकना है .
ब्लॉगजगत में पहली बार एक ऐसा "साझा मंच" जो हिन्दुओ को निष्ठापूर्वक अपने धर्म को पालन करने की प्रेरणा देता है. बाबर और लादेन के समर्थक मुसलमानों का बहिष्कार करता है, धर्मनिरपेक्ष {कायर } हिन्दुओ के अन्दर मर चुके हिंदुत्व को आवाज़ देकर जगाना चाहता है. जो भगवान राम का आदर्श मानता है तो श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी उठा सकता है.
इस ब्लॉग के लेखक बनने के लिए. हमें इ-मेल करें.
हमारा पता है.... hindukiawaz@gmail.com
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच - हल्ला बोल
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