ओ मेरी आँख के आंसू !
तू अपना धर्म निभाना ;
लगे जब ठेस इस दिल को
तभी तू आँख में आना .
********************
किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
**********************
कोई अपना बिछड़ जाये
या मुझसे रूठ ही जाये ;
मेरा देखा हुआ हर स्वप्न
झटके में बिखर जाये ;
मेरे दिल की तपन को
तू बरसकर ठंडा कर जाना ,
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
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तू अपना धर्म निभाना ;
लगे जब ठेस इस दिल को
तभी तू आँख में आना .
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किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
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कोई अपना बिछड़ जाये
या मुझसे रूठ ही जाये ;
मेरा देखा हुआ हर स्वप्न
झटके में बिखर जाये ;
मेरे दिल की तपन को
तू बरसकर ठंडा कर जाना ,
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
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6 टिप्पणियां:
किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....
aansoon ka yahi dharm ho jaye to manavta ke kasht mit jayen....
बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता.
ओ मेरी आँख के आंसू !
तू अपना धर्म निभाना ;
लगे जब ठेस इस दिल को
तभी तू आँख में आना .
गज़ब की अभिव्यक्ति है…………बेहतरीन्…………आँसुओ का आना तभी सार्थक है……………शानदार रचना।
किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
बहुत भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति..मन को छू गयी..
दिल को छूने वाली कविता !
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