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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

आँख का आंसू

ओ मेरी आँख के आंसू !
तू अपना धर्म निभाना ;
लगे जब ठेस इस दिल को
तभी तू आँख में आना .
********************
किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
**********************
कोई अपना बिछड़ जाये
या मुझसे रूठ ही जाये ;
मेरा देखा हुआ हर स्वप्न  
झटके में बिखर जाये ;
मेरे दिल की तपन को
तू बरसकर ठंडा कर जाना ,
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
**********************

6 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.

बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....

Shalini kaushik ने कहा…

aansoon ka yahi dharm ho jaye to manavta ke kasht mit jayen....

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता.

vandana gupta ने कहा…

ओ मेरी आँख के आंसू !
तू अपना धर्म निभाना ;
लगे जब ठेस इस दिल को
तभी तू आँख में आना .

गज़ब की अभिव्यक्ति है…………बेहतरीन्…………आँसुओ का आना तभी सार्थक है……………शानदार रचना।

Kailash Sharma ने कहा…

किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .

बहुत भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति..मन को छू गयी..

Anita ने कहा…

दिल को छूने वाली कविता !