है अगर कुछ आग दिल में ;
तो चलो ए साथियों !
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों .
**************
रौंद कर हमको चला
जाता है जिनका कारवा ;
ऐसी सरकारों का सर
मिलकर झुका दे साथियों .
*******************
रौशनी लेकर हमारी;
जगमगाती कोठियां ,
आओ मिलकर नीव हम
इनकी हिला दे साथियों .
*********************
घर हमारे फूंककर
हमदर्द बनकर आ गए ;
ऐसे मक्कारों को अब
ठेंगा दिखा दे साथियों .
****************
जो किताबे हम सभी को
बाँट देती जात में;
फाड़कर ,नाले में उनको
अब बहा दे साथियों .
****************
हम नहीं हिन्दू-मुस्लमान
हम सभी इंसान हैं ;
एक यही नारा फिजाओं में
गुंजा दे साथियों .
*****************
है अगर कुछ आग दिल में
तो चलो ए साथियों
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों .
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तो चलो ए साथियों !
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों .
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रौंद कर हमको चला
जाता है जिनका कारवा ;
ऐसी सरकारों का सर
मिलकर झुका दे साथियों .
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रौशनी लेकर हमारी;
जगमगाती कोठियां ,
आओ मिलकर नीव हम
इनकी हिला दे साथियों .
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घर हमारे फूंककर
हमदर्द बनकर आ गए ;
ऐसे मक्कारों को अब
ठेंगा दिखा दे साथियों .
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जो किताबे हम सभी को
बाँट देती जात में;
फाड़कर ,नाले में उनको
अब बहा दे साथियों .
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हम नहीं हिन्दू-मुस्लमान
हम सभी इंसान हैं ;
एक यही नारा फिजाओं में
गुंजा दे साथियों .
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है अगर कुछ आग दिल में
तो चलो ए साथियों
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों .
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6 टिप्पणियां:
joshila aahvan.prerak prastuti.badhai.
बहुत ही जोशीले अंदाज़ में लिखी गयी,सार्थक सन्देश देती कविता.
दिल में जोश का जज्बा भरने वाली एक वीररस की कविता !
गर्जना और वर्जना के साथ में हुंकार है।
यह सुखनवर का बहुत ही विलक्षण हथियार है।।
है अगर कुछ आग दिल में
तो चलो ए साथियों
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों
सुंदर ...सार्थक आव्हान...
'विख्यात' ब्लॉग का नया रूप आकर्षक है.बधाई!
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