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शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

जिन्दगी उदास है !

लाखों किसान हमारे देश में रोज अपनी जीवन-लीला समाप्त कर रहें है .कितना दुखद है ! इसे ही लक्ष्य कर मैंने यह कविता लिखी है -
     बुझ रही हर आस है ,
   टूटता विश्वास है ,
      खिलखिलाती मौत और
      जिन्दगी उदास है .
*****************************
अन्न क़ा दाता स्वयं
 एक ग्रास को तड़प रहा ,
मजबूरियों के  डंक से
अभाव सर्प डस रहा ,
 घुट रहा है दम
आती नहीं अब श्वास है ,
खिलखिलाती मौत और 
जिन्दगी उदास है .
************************************
कट गए वो रेल से ,
जल गए वो आग में ,
रह गयी बस सल्फास
हाय इनके भाग में !
पी रही इनका लहू
सत्ता की कैसी प्यास है ?
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
******************

12 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

सोचने को मजबूर करती है कविता.
अन्नदाता किसान का जब यह हाल होगा तो आम जनता की तो बात ही छोड़ दीजिये.

Kailash Sharma ने कहा…

बुझ रही हर आस है ,
टूटता विश्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .

बहुत मार्मिक प्रस्तुति..जब तक व्यवस्था संवेदनशील नहीं होगी, ज़िंदगी को उदास ही रहना होगा..बहुत भावपूर्ण..

Shalini kaushik ने कहा…

jo aap soch rahi hain ye aaj sabhi ko sochna hoga anyatha anna ko har kisi ko tadapna hoga kyonki annadata ki peeda sabki peeda hai.bahut bhavpoorn rachna....

रजनीश तिवारी ने कहा…

खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
...सच कहा है , इसे पलटना जरूरी है !एक विचारोत्तेजक अच्छी रचना !

Anamikaghatak ने कहा…

bhavpoorna rachana......ati sundar

amit kumar srivastava ने कहा…

achcha chintan...

Sadhana Vaid ने कहा…

किसानों के जीवन के निर्मम यथार्थ और कड़वाहट को आपकी रचना ने हू ब हू अभिवुँक्त कर दिया है ! अति संवेदनशील रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

अन्न क़ा दाता स्वयं
एक ग्रास को तड़प रहा ,
मजबूरियों के डंक से
अभाव सर्प डस रहा ,
घुट रहा है दम
आती नहीं अब श्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .
****************************
is udaasi ko sabko mahsoos karna hoga, tabhi koi parivartan mumkin hai

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बुझ रही हर आस है ,
टूटता विश्वास है ,
खिलखिलाती मौत और
जिन्दगी उदास है .

संवेदनशील मनोभाव संजोये रचना ......

Dorothy ने कहा…

आजकल के समयों की बेहद मार्मिक और सटीक अभिव्यक्ति. बेहद खूबसूरत रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.

Sushil Bakliwal ने कहा…

बेहद मार्मिक...

Anita ने कहा…

जीवन के कटु यथार्थ को को मार्मिक शब्दों में व्यक्त करती एक सार्थक रचना !