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बुधवार, 29 जून 2011

सारी दुनिया दुश्मन है !

सारी दुनिया दुश्मन है !


         आज एक ईमानदार व्यक्ति क्या सोचता है और महसूस करता है इस गाने में उन्ही भावों को संजोने का प्रयास किया है -

 मैं सच कहना चाहता हूँ  
ये कहने ना है देती ;
मैं चुप रहना चाहता हूँ 
ये रहने ना है देती ;
मेरी हर चाहत को ये रौंद रही हर पल 
सारी दुनिया दुश्मन है ,सारी दुनिया दुश्मन है .

पैसे वाले के पीछे ये पूंछ हिलाती चलती ;
पर हाय कुटिल चालों से निर्धन को है ये छलती ,
हाँ!देख तमाशा इसका हो जाता हूँ मैं पागल .
सारी दुनिया दुश्मन .......................................

जो गिरा फिसल कर कोई ये नहीं सहारा देती ;
जो पा जाता है मंज़िल उसके पीछे हो लेती ;
मक्कारों की ये मजलिस कहती है दिल की धड़कन .
सारी दुनिया दुश्मन ..................................................

यहाँ चहुँ ओर रावन का बजता रहता है डंका ;
वो ले जाता है हरकर प्रतिदिन सीता को लंका ;
फिर अग्नि परीक्षा  माता सीता की ही ली जाती .
सारी दुनिया दुश्मन है ......................................
                                                                              शिखा कौशिक 
                                                 http://shikhakaushik666.blogspot.com


8 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

बस ऐसी ही है ये दुनिया आज मैने भी इसी दुनिया पर कुछ लिखा है।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

Beautiful Expressions!

Regards.

आशुतोष की कलम ने कहा…

यही दुनिया है तो ऐसी दुनिया क्यों है ????

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति..... यही हाल है आजकल....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यहाँ चहुँ ओर रावन का बजता रहता है डंका ;
वो ले जाता है हरकर प्रतिदिन सीता को लंका ;
फिर अग्नि परीक्षा माता सीता की ही ली जाती .
सारी दुनिया दुश्मन है
--
सिर्फ किताबी आजादी है!

Shalini kaushik ने कहा…

पैसे वाले के पीछे ये पूंछ हिलाती चलती ;
पर हाय कुटिल चालों से निर्धन को है ये छलती ,
हाँ!देख तमाशा इसका हो जाता हूँ मैं पागल .
सारी दुनिया दुश्मन
bahut sahi v sateek prastuti.badhai shikha ji

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

यूँ गुल खिले हैं बाग़ में खारों के आस-पास,
जैसे की गर्दिशें हों सितारों के आस-पास.
रौनक चमन में आ गयी लेकिन न भूलना,
शायद खिज़ा छुपी हो बहारों के आस-पास.
{विख्यात}

Nice post

Kunwar Kusumesh ने कहा…

क्या बात है,शिखा जी,
अरे,एक रावण को मारने के लिए राम को जन्म लेना पढ़ा था.अब तो रावण ही रावण हैं.इसीलिए राम भी जन्म नहीं ले रहे हैं.वो भी आख़िर किस किस को मारेंगे.