सारी दुनिया दुश्मन है !
आज एक ईमानदार व्यक्ति क्या सोचता है और महसूस करता है इस गाने में उन्ही भावों को संजोने का प्रयास किया है -
मैं सच कहना चाहता हूँ
ये कहने ना है देती ;
मैं चुप रहना चाहता हूँ
ये रहने ना है देती ;
मेरी हर चाहत को ये रौंद रही हर पल
सारी दुनिया दुश्मन है ,सारी दुनिया दुश्मन है .
पैसे वाले के पीछे ये पूंछ हिलाती चलती ;
पर हाय कुटिल चालों से निर्धन को है ये छलती ,
हाँ!देख तमाशा इसका हो जाता हूँ मैं पागल .
सारी दुनिया दुश्मन .......................................
जो गिरा फिसल कर कोई ये नहीं सहारा देती ;
जो पा जाता है मंज़िल उसके पीछे हो लेती ;
मक्कारों की ये मजलिस कहती है दिल की धड़कन .
सारी दुनिया दुश्मन ..................................................
यहाँ चहुँ ओर रावन का बजता रहता है डंका ;
वो ले जाता है हरकर प्रतिदिन सीता को लंका ;
फिर अग्नि परीक्षा माता सीता की ही ली जाती .
सारी दुनिया दुश्मन है ......................................
शिखा कौशिक
8 टिप्पणियां:
बस ऐसी ही है ये दुनिया आज मैने भी इसी दुनिया पर कुछ लिखा है।
Beautiful Expressions!
Regards.
यही दुनिया है तो ऐसी दुनिया क्यों है ????
सुंदर प्रस्तुति..... यही हाल है आजकल....
यहाँ चहुँ ओर रावन का बजता रहता है डंका ;
वो ले जाता है हरकर प्रतिदिन सीता को लंका ;
फिर अग्नि परीक्षा माता सीता की ही ली जाती .
सारी दुनिया दुश्मन है
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सिर्फ किताबी आजादी है!
पैसे वाले के पीछे ये पूंछ हिलाती चलती ;
पर हाय कुटिल चालों से निर्धन को है ये छलती ,
हाँ!देख तमाशा इसका हो जाता हूँ मैं पागल .
सारी दुनिया दुश्मन
bahut sahi v sateek prastuti.badhai shikha ji
यूँ गुल खिले हैं बाग़ में खारों के आस-पास,
जैसे की गर्दिशें हों सितारों के आस-पास.
रौनक चमन में आ गयी लेकिन न भूलना,
शायद खिज़ा छुपी हो बहारों के आस-पास.
{विख्यात}
Nice post
क्या बात है,शिखा जी,
अरे,एक रावण को मारने के लिए राम को जन्म लेना पढ़ा था.अब तो रावण ही रावण हैं.इसीलिए राम भी जन्म नहीं ले रहे हैं.वो भी आख़िर किस किस को मारेंगे.
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