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शनिवार, 11 जून 2011

रिश्ते

रिश्ते 
                 


कभी अमा-निशा से रिश्ते ;
कभी पूनम जैसे रिश्ते;
कभी फूल से कोमल रिश्ते ;
कभी काँटों जैसे रिश्ते;
ये रिश्ते....ये रिश्ते...ये रिश्ते .

कभी इन्द्रधनुष से रिश्ते ;
कभी काली घटा से रिश्ते ;
कभी ठंडी चांदनी से ;
कभी कड़ी धूप से रिश्ते;
ये रिश्ते...ये रिश्ते...ये रिश्ते .


कभी ये कलाई पर सजते;
कभी शहनाई में बजते;
कभी ये हैं कोख में पलते ;
कभी ऊँगली पकड़ चलते ;
ये रिश्ते....ये रिश्ते...ये रिश्ते .

कभी घूंघट में ये छिपते ;
कभी शर्मिंदा भी करते ;
कभी दिल को ये बहलाते;
कभी दिल पर चोट लगाते ;
ये रिश्ते...ये रिश्ते....ये रिश्ते.

6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

sundar laybaddh abhivyakti.bahut khoob.

vandana gupta ने कहा…

रिश्तो की सुन्दर अभिव्यक्ति।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कभी इन्द्रधनुष से रिश्ते ;
कभी काली घटा से रिश्ते ;
कभी ठंडी चांदनी से ;
कभी कड़ी धूप से रिश्ते;
ये रिश्ते...ये रिश्ते...ये रिश्ते .

Jeevan ka har rang liye hain rishte

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत मार्मिक रचना|

mamta ruhela ने कहा…

atisunder