ये ऐसा बंधन है कभी टूट नहीं सकता ,
ये ऐसी दौलत है कोई लूट नहीं सकता ,
जीवन भर देती हम सबको दुआएं
हम सब की माएं ;हम सबकी माएं.
वो अपना निवाला बच्चे को दे देती ,
बदले में बच्चे से भला माँ है क्या लेती ?
अपने पर ले लेती वो सारी बलाएँ ,
हम सबकी माएं,हम सब की माएं
जो भटके कभी हम वो राह दिखाती,
जीने का सलीका माँ ही तो सिखाती
ममता के मोती बच्चों पे लुटाएं ,
हम सबकी माएं.हम सबकी माएं .
जो गोद में लेकर रोते को हँसाती;
जो ऊँगली पकड़कर चलना है सिखाती ,
जो खुद जगती रहकर बच्चे को सुलाएं
हम सब की माएं ,हम सबकी माएं .
शिखा कौशिक
3 टिप्पणियां:
bahut khoob .aapne ham sabhi kee maa ko yahan samman de sarahniy karya kiya hai.aapki aawaz me ye song bahut achchha laga.badhai.
बहुत सुन्दर!
बहुत बढ़िया .....सुंदर रचना
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