मेरे वालिद
ग़मों को ठोकरें मिटटी में मिला ही देती ,
मेरे वालिद ने आगे बढ़ के मुझे थाम लिया .
मुझे वजूद मिला एक नयी पहचान मिली ,
मेरे वालिद ने मुझे जबसे अपना नाम दिया .
मेरी नादानियों पर सख्त हो डांटा मुझको;
मेरे वालिद ने हरेक फ़र्ज़ को अंजाम दिया .
अपनी मजबूरियों को दिल में छुपाकर रखा ;
मेरे वालिद ने रोज़ ऐसा इम्तिहान दिया .
खुदा का शुक्र है जो मुझपे की रहमत ऐसी ;
मेरे वालिद के दिल में मेरे लिए प्यार दिया .
शिखा कौशिक
8 टिप्पणियां:
अपनी मजबूरियों को दिल में छुपाकर रखा ; मेरे वालिद ने रोज़ ऐसा इम्तिहान दिया .
bahut sundar v marmik abhivyakti.badhai.
मेरी नादानियों पर सख्त हो डांटा मुझको;
मेरे वालिद ने हरेक फ़र्ज़ को अंजाम दिया
Kya bat... Bahut hi sunder panktiyan
पिता का योगदान हर व्यक्ति के जीवन का संबल होता है..
आप भाग्यशालियों में से एक हैं..
बधाइयाँ
पिता को समर्पित बहुत सुन्दर रचना।
बहुत ही बेहतरीन रचना शिखा ज़ी ! बधाई !
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राजनेता - एक परिभाषा अंतस से (^_^)
उर्दू भाषा वैसे ही मिठास से भरी है फिर आपने वालिद जैसे खूबसूरत रिश्ते पर लिख कर उसे और भी सुंदर बना दिया है... सुभानअल्लाह!
बहुत ही सुन्दर.
बहुत सुन्दर और सशक्त रचना!
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