दीवार से नीचे लटकती
''बेल ''
कभी स्थिर -कभी हवा
के झोंके से चंचल,
छोटे -बड़े पत्ते
मानों उसकी अभिलाषाओं
के प्रतीक ,
लम्बी लम्बी टहनियां
मानों उसकी जीवन
शक्ति क़ा संकेत ;
जब हिलती हैं
तो लगता है कि
मुस्कुरा रही हैं ;
जब ठहरी रहती हैं
तो मानो उदास हो जाती हैं ;
क्या इनमे भी जीवन है ?
ये एक जिज्ञासा सिर उठाती है ;
जो तुरंत ही शांत
भी हो जाती है ;
जब बेल की एक टहनी
लचक कर मेरे चेहरे
से छू जाती है ;
मानो यह कह जाती
है -हम भी तेरे जैसे ही है
''हम में भी है स्पंदन ''
7 टिप्पणियां:
prakriti ki har vah cheez jo hame dikhai deti hai usme jeevan hai aap ne mahsoos kiya yadi aur bhi mahsoos karen to shayad prikriti ka vinash rook jaye.bahut sunder kavita...
सच कहा हर चीज़ मे स्पंदन होता है सिर्फ़ महसूसने की जरूरत होती है।
bahut khub ....
प्रकृति के सुंदर चित्रण के साथ एक भाव पूर्ण कृति!
bahut hi khoob..
Please visit my blog..
Lyrics Mantra
Ghost Matter
Download Free Music
Music Bol
bahut acha..
mere "MERI KAVITA" blog me bhi aayen.
बहुत सुंदर इस स्पंदन को महसूस करने से ही संवेदनशीलता आती है।
एक टिप्पणी भेजें