मेरी आरजू
कुछ कर दिखाने की;
मेरा जूनून
कुछ बन पाने का ;
मेरी ख्वाहिश
सब कुछ पाने की;
मेरे दिल में कशमकश
ऊँचा उठ जाने की;
मुझ में हलचल
उड़कर दिखाने की;
मुझमें हिम्मत
नवीन सर्जन करने की;
'मै मनुष्य हूँ'
ये हैं मेरी प्राथमिकताएं.
कुछ कर दिखाने की;
मेरा जूनून
कुछ बन पाने का ;
मेरी ख्वाहिश
सब कुछ पाने की;
मेरे दिल में कशमकश
ऊँचा उठ जाने की;
मुझ में हलचल
उड़कर दिखाने की;
मुझमें हिम्मत
नवीन सर्जन करने की;
'मै मनुष्य हूँ'
ये हैं मेरी प्राथमिकताएं.
3 टिप्पणियां:
manav man ki abhilashaon ki soochi hi aapne prastut kar di .bahut sundar bhavpoorn kavita...
मनुष्य होने पर भी यदि कुछ कर दिखाने का उत्साह नहीं हुआ और कुछ नया सृजन करने का जज्बा नहीं जगा तो जीवन अधूरा ही रहेगा !सुंदर कविता!
मनुष्य की यही सोच उसे आशावादी बनाये रखती है....
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