जिसके वशीभूत हो प्रभु ने जगत ये रच दिया ,
कृष्ण की बंसी बजी ;किसने इसको सुर दिया ,
हर ह्रदय में बस रहा वो भाव जो वरदान है ,
पवित्र व् कल्याणमय ''प्रेम ''उसका नाम है .
प्रेम की शक्ति से ही जगत का विस्तार है ,
हर मनुज उर में सदा बहती यही रसधार है ,
नलिनी सम सौन्दर्य युक्त ,आकार निराकार है ,
त्रिलोक की संजीवनी ,ये जगत आधार है .
गौरा बनकर अर्पणा हो गयी भोलेनाथ की ,
लक्ष्मी -नारायण मिले ,श्री राम संग हैं जानकी,
कृष्ण राधा के हुए,मीरा हुई घनश्याम की,
ये सभी साकार रचना प्रीति-प्रेम भाव की .
शब्दहीन जिसकी भाषा ,बोलते दो नैन हैं ,
कर्ण सुन रहे है किन्तु रसना जिसकी मौन है ,
जो प्रिया के मुख पे लाली बन विराजती ,
प्रेम की ये भावना रूप को निखारती .
द्वेष की खडग को जो आगे बढ़ के काटती ,
भेदभाव खाई को भली प्रकार पाटती ,
पाप के समुंद्र में फंस गए यदि कभी
पुण्य नौका बन के प्रीति भव निधि से तारती .
प्रेम अनल ,प्रेम अनिल, प्रेममय संसार है ,
प्रेम धरा,प्रेम गगन ,प्रेम जल की धार है ,
प्रेम श्रद्धा ,प्रेम मान,प्रेम सदाचार है ,
प्रेम दया ,प्रेम कृपा,प्रेम ही उपकार है.
होली आई -होली आई प्रेम रंग चढ़ गया ,
राखियों के रूप में कलाई पर है बंध गया ,
ईद के मौके पे आ गले जो लग गया ,
दीवाली रात में ये प्रेम दीप बन के सज गया .
त्याग और कल्याण ही जिस के पुण्य पुत्र है ,
करुना और उदारता जैसी न अन्यत्र है ,
जो 'अहम' से मुक्त ,सर्वत्र जिसका मान है ,
अमृत तुल्य 'प्रेम पितृ 'मानवता की पहचान है .
जो सखा ,जो प्रिय,जिसका ह्रदय में वास है,
श्वास-श्वास में रमा,जो अटल विश्वास है ,
जो सुगंध प्रसून की ,न बुझने वाली प्यास है ,
प्रेम मानव देह में प्रभु का अमर आभास है .
शिखा कौशिक
8 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लिखा आपने!
बहुत सुन्दर
हुर्रे, अब हम हैं यू-ट्यूब पार्टनर, अब हमारे साथ आप भी कमाएंगे
अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!
प्रेम की बहुत ही सुन्दर विवेचना की है…………सुन्दर प्रस्तुति।
खूब लिखा है आपने... बहुत बढ़िया वैसे भी भगवान श्री कृष्ण प्रेम के प्रतीक हैं |
खूब लिखा है आपने... बहुत बढ़िया वैसे भी भगवान श्री कृष्ण प्रेम के प्रतीक हैं |
बहुत सुंदर ...प्रभावी भावाभिव्यक्ति....
ye aapki sarvshresht rachnao me hai...
lay,bhav,shabd ..sab acche hain...
good wishes..
प्रेम भाव की व्याप्ति और उसमे समाहित परम सत्य की शक्ति की सरस शैली में प्रस्तुति सराहनीय है !सबके हृदय में प्रेम की गंगा बहती रहे ;यही हमारी आकांक्षा है !भोला कृष्णा
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