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बुधवार, 18 जुलाई 2012

वाह रे पत्रकार ...वाह वाह रे पत्रकार !

वाह रे पत्रकार  ...वाह वाह रे पत्रकार  !


ये पराकाष्ठा है संवेदनहीनता की .गुवाहाटी  में एक ओर असामाजिक तत्व एक युवती की अस्मत तार तार करने में लगे थे और दूसरी ओर वहां उपस्थित एक स्थानीय टेलीविजन के पत्रकार महोदय इस हादसे की वीडियो बना रहे थे .गौरव ज्योति नियोग नाम के इस पत्रकार ने पूरी  मानवता  को शर्मसार  कर दिया है और आज की मीडिया को कटघरे में खड़ा कर दिया है .स्वयं कुछ करने का साहस नहीं था तो कम  से  कम पुलिस को ही सूचित कर देता .चैनल के एडिटर इन चीफ  का बयान  और भी  काबिल-ए-तारीफ  है .ये जनाब फरमाते हैं कि-''मैं अपने रिपोर्टर के साथ हूँ जिसने अपना काम किया है .''  भाई वाह !!रिपोर्टर होने से पहले वह एक इन्सान है और जो दूसरे इन्सान पर   की जा रही  ज्यादती  को नहीं रोकता  वो  इन्सान कह लाने के काबिल नहीं .एक और धमाकेदार  काम किया है महिला  आयोग की टीम मेंबर  सुश्री  अल्का  लाम्बा ने .इन महोदया  ने उस पीड़ित  लड़की  की पहचान  सार्वजानिक कर दी .शाबाश !!ऐसे  ही करतब  दिखाते  रहे तो समाज में महिलाओं की स्थिति  बहुत मजबूत     होगी  .एक बार फिर से उन पत्रकार महोदय को सलाम  ....बस  ऐसे ही कर्म   करना   जब तुम्हारे  सगे  के साथ  ऐसा हो   .वाह रे पत्रकार ....वाह वाह रे पत्रकार .!!!
[dainik hindustan ]


सामने तेरे हुई अस्मत किसी की तार तार 
और तू करता रहा बस वीडियो तैयार  ,
वाह रे पत्रकार ...वाह वाह रे पत्रकार .

क्या जरूरी था वहां  ये फैसला न कर सका ;
इन्सान होकर दे ही दी इंसानियत को ही दगा ,
धिक्कारता है दिल  सभी का आज  तुझको बार बार .
वाह रे पत्रकार .....

रक्षा का देते आये हैं जिस देश में भाई वचन ;
इस तरह बेबस हुई खुलेआम हाय ये बहन ,
हैवानियत  का कर रहा 'यू ट्यूब ' पर प्रचार .
वाह रे पत्रकार .....


सनसनी के वास्ते वीडियो बना लिया  ;
दरिंदगी को रोकने को क्यों नहीं लोहा लिया ?
ज़मीर तेरा मर चुका कर ले ये स्वीकार 
वाह रे पत्रकार ....वाह वाह रे पत्रकार !

                        शिखा  कौशिक  
                       [विख्यात ]




4 टिप्‍पणियां:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

हम जितने पेशेवर होते जायेंगे, संवेदनाओं से उतने दूर होते जायेंगे। कुछ पेशे को हम भगवान, लोकतंत्र का खंभा,देव से भी बड़े गुरूदेव आदि के रूप में नमन करते आये हैं इसीलिए इनको विचलित होते देख, हमें अधिक कष्ट होता है।

रविकर ने कहा…

और एक यह भी है शहीद-

करे सुरक्षित नारि दो, लुटा जाय जो जान ।
ऐ करीम टाटानगर, झारखण्ड की शान ।

झारखण्ड की शान, पीटते नारी गुंडे ।
कर करीम प्रतिरोध, हटाता वह मुस्टंडे ।

बची नारिया किन्तु, उसे चाक़ू से गोदा ।
होता आज शहीद, उजड़ अब गया घरौंदा ।।

Shalini kaushik ने कहा…

bilkul sahi kaha hai aapne .vah pahle insan hai bad me aur kuchh par vidambana ye hai ki aaj insaniyat mar chuki hai aur chennal kee jeet har mayne rakhne lagi hai.sarthak prastuti.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सही।