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शनिवार, 28 जुलाई 2012

पर बात इतनी सी नहीं ..


पर बात इतनी सी नहीं ..
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जैसे तुम चाहते हो 
मैं वैसे ही वस्त्र धारण कर लेती ,
यदि इससे रूक सकता 
स्त्री से दुर्व्यवहार !
सच मानो मैं अपनी देह को 
ढक लेती हजार बार !
पर बात इतनी सी नहीं ..

स्त्री की देह मात्र देह नहीं 
वो है दुश्मन  को नीचा  
दिखाने  का साधन ;
आज से नहीं 
युगों युगों से ,
सीता हरण ;द्रौपदी का 
चीर हरण ,
इसके ही तो परिणाम थे ,
फिर कैसे रूक जायेगा 
आज ये चलन ?

बीहड़ से लेकर गुवाहाटी तक ;
पुरुष के ठहाके  
स्त्री का चीत्कार ,
स्त्री देह को निर्वस्त्र करने 
का पुरातन व्यभिचार .

सांप्रदायिक दंगें
खून की होलियाँ 
और  यहाँ भी शिकार बनती 
स्त्री देह ,
सर्वोतम  तरीका प्रतिशोध  चुकाने  का 
नोंच  डालो दुश्मन की 
स्त्री की देह .

...फिर भी तुम्हे लगता है 
कि जैसे तुम कहते हो 
वैसे वस्त्र धारण से 
 रूक सकता है 
स्त्री से दुर्व्यवहार !
सच मानो मैं अपनी देह को 
ढक लूंगी  हजार बार !
पर बात इतनी सी नहीं ..

                  शिखा कौशिक 
                [विख्यात ]

2 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

.बहुत सार्थक प्रस्तुति.भावनात्मक प्रस्तुति आभार रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पाएंगे मोहपाश छोड़ सही रास्ता अपनाएं

Anita ने कहा…

सचमुच, मानसिकता बदलनी होती है ...बाहरी बदलाव से कुछ नहीं होता