पर बात इतनी सी नहीं ..
जैसे तुम चाहते हो
मैं वैसे ही वस्त्र धारण कर लेती ,
यदि इससे रूक सकता
स्त्री से दुर्व्यवहार !
सच मानो मैं अपनी देह को
ढक लेती हजार बार !
पर बात इतनी सी नहीं ..
स्त्री की देह मात्र देह नहीं
वो है दुश्मन को नीचा
दिखाने का साधन ;
आज से नहीं
युगों युगों से ,
सीता हरण ;द्रौपदी का
चीर हरण ,
इसके ही तो परिणाम थे ,
फिर कैसे रूक जायेगा
आज ये चलन ?
बीहड़ से लेकर गुवाहाटी तक ;
पुरुष के ठहाके
स्त्री का चीत्कार ,
स्त्री देह को निर्वस्त्र करने
का पुरातन व्यभिचार .
सांप्रदायिक दंगें
खून की होलियाँ
और यहाँ भी शिकार बनती
स्त्री देह ,
सर्वोतम तरीका प्रतिशोध चुकाने का
नोंच डालो दुश्मन की
स्त्री की देह .
...फिर भी तुम्हे लगता है
कि जैसे तुम कहते हो
वैसे वस्त्र धारण से
रूक सकता है
स्त्री से दुर्व्यवहार !
सच मानो मैं अपनी देह को
ढक लूंगी हजार बार !
पर बात इतनी सी नहीं ..
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
2 टिप्पणियां:
.बहुत सार्थक प्रस्तुति.भावनात्मक प्रस्तुति आभार रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पाएंगे मोहपाश छोड़ सही रास्ता अपनाएं
सचमुच, मानसिकता बदलनी होती है ...बाहरी बदलाव से कुछ नहीं होता
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