ये हवस की इंतिहा' है इससे ज्यादा क्या कहें ?
[Shocking: 20 men molest girl in Guwahati]
लुट रही अस्मत किसी की जनता तमाश बीन है ;
इंसानियत की निगाह में जुल्म ये संगीन है .
चैनलों को मिल गयी एक नयी ब्रेकिंग न्यूज़ ;
स्टूडियों में जश्न है मौका बड़ा रंगीन है .
अखबार में छपी खबर पढ़ रहे सब चाव से ;
पाठक भी अब ऐसी खबर पढने के शौक़ीन हैं .
ये हवस की इंतिहा' है इससे ज्यादा क्या कहें ?
कर न लें औरत को नंगा ये मर्द की तौहीन है .
बीहड़ बनी ग़र हर जगह कब तक सहेगी जुल्म ये ;
कई और फूलन आएँगी पक्का मुझे यकीन है .
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
3 टिप्पणियां:
बीहड़ बनी ग़र हर जगह कब तक सहेगी जुल्म ये ;
कई और फूलन आएँगी पक्का मुझे यकीन है .
बहुत सही bat aapne kavyatmak swaroop me prastut kee hai.
ऐसा हादसा कभी न हो
अब फूलन बने बिना काम भी नहीं चलना .... सटीक अभिव्यक्ति
हाँ शिखा जी, ये हवस की इन्तिहाँ ही है , लेकिन इसके मूल में जाकर इसका हल खोजना होगा, नहीं तो ये सृष्टि आगे चलने से इंकार कर देगी. अब लगता है कि क्या लोग कन्या भ्रूण हत्या के पीछे यही सब सोच रहे हें कि आगे आने वाले समय में बेटियाँ न घर और न बाहर कहीं भी सुरक्षित न रहेंगी. अब अगर उन्हें जन्म देना है तो फिर उनके हौसले इतने मजबूत करने होंगे कि इन हवस के भूखे भेड़ियों से खुद को बचा कर रख सकें.
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