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रविवार, 17 अप्रैल 2011

हद

'वंदना ' देख रितेश ने मुझे कितने सुन्दर कंगन दिए हैं ?''चहकती हुई सुमन की बात सुनकर वंदना थोड़ी नाराज होते हुई बोली ''....सुमन ये सब ठीक नहीं ...तू जानती है  ताऊ जी कितने गुस्से वाले हैं !..यदि उन्हें पता चल गया तू कॉलिज में किसी लड़के के साथ प्रेम लीला कर रही है वो तुझे जीते जी जमीन में गाड़ देंगे  और ताई जी तो कुछ बोलेंगी भी नहीं तेरे पक्ष में ...वो तो खुद घबराती हैं ताऊ जी से ....मेरी बात सुन रितेश से सब मतलब ख़त्म कर ले .....'' ''नहीं वंदना ...मैं रितेश के साथ धोखा नहीं कर सकती ' सुमन बात काटते  हुए बोली .........      ''तो मर .....' वंदना ने सुमन का हाथ झटका और उठकर वहां से चली गयी .अगले दिन वंदना कॉलिज गयी  तो पता चला कि सुमन कॉलिज नहीं आयी .अनजाने भय से उसका ह्रदय काँप गया .कॉलिज से लौटते  हुए वंदना सुमन के घर गयी तो पता चला कि वो कल ताऊ जी के साथ अपने मामा के घर चली गयी है .इस तरह एक महीना बीत गया फिर एक दिन वंदना के पिता जी ने घर लौटकर बहुत धीमे स्वर में बताया -''सुमन ने मामा के घर में आग लगाकर आत्महत्या कर ली कल रात .बहुत मुश्किल से मामला रफा-दफा हो पाया है पुलिस में वरना वे तो भाई साहब  को फंसा रहे थे कि उन्होंने मारा hai सुमन को .... उसे मार भी देते तो क्या ?घर की इज्जत सडको पर नीलाम  होने देते ?आखिर लड़की को अपनी हद में तो रहना ही चाहिए  !''आँखों -आँखों  में वंदना को भी धमका डाला था उन्होंने .

7 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut sahi v sateek laghu katha.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मार्मिक प्रस्तुति

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

dukhad ...par saty hai hamre samaj ka....

vandana gupta ने कहा…

पता नही कब अंत होगा ऐसे कत्लों का या ऐसी मानसिकता का।

Unknown ने कहा…

लाजवाब

Unknown ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आयें, आपका स्वागत है
मीडिया की दशा और दिशा पर आंसू बहाएं

hamarivani ने कहा…

अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....