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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

सीता अपमान का प्रतिउत्तर !

 

आज जनकपुर स्तब्ध  भया ;  डोल गया विश्वास है  ,
जब से जन जन को ज्ञात हुआ मिला सीता को वनवास है .

मिथिला के जन जन के मन में ये प्रश्न उठे बारी बारी ,
ये घटित हुई कैसे घटना सिया राम को प्राणों से प्यारी ,
ये कुटिल चाल सब दैव की ऐसा होता आभास है .

हैं आज जनक कितने व्याकुल  पुत्री पर संकट भारी है ?
ये होनी है बलवान बड़ी अन्यायी अत्याचारी है ,
जीवन में शेष कुछ न रहा टूटी मन की सब आस है .



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3 टिप्‍पणियां:

Aditi Poonam ने कहा…

हमेशा की तरह मन को छू लेने वाली सुंदर रचना के लिए आभार

Shalini kaushik ने कहा…

.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को .-2013

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!