पुरुष सदा निर्दोष -एक सार्वभौमिक सत्य
देवी सीता का हुआ हरण
देवी सीता का हुआ हरण
इसके पीछे था क्या कारण ?
स्त्री बोली - था नीच अधम
लंका का राजा वो रावण
पर पुरुष का है भिन्न मत
उसने ढूँढा स्त्री मे दोष
बोला एक पक्ष है अनदेखा
क्यों लांघी सीता ने
लक्ष्मण -रेखा ?
चीर हरण कृष्णा का हुआ
क्यों हुआ कहो इसका कारण ?
स्त्री बोली -पुरुषों के खेल
सदियों से नारी रही झेल ,
पर पुरुष का है भिन्न मत
उसने ढूँढा स्त्री का दोष
कृष्णा वचनों की कटु चोट
दुर्योधन उर को रही कचोट
कृष्णा का दोष था इसमें साफ़
कौरव कर देते कैसे माफ़ ?
फिजा की निर्मम हत्या और
गीतिका की आत्महत्या
दोनों में दोषी है कौन ?
कहो जरा मत रहो मौन ,
स्त्री बोली-शोषण आग में वे जल गयी
मक्कार पुरुष से छली गयी ,
पर पुरुष का है भिन्न मत
उसने ढूँढा स्त्री में दोष
दोनों क्या बच्ची थी अबोध
यथार्थ का नहीं था बोध ?
उड़ने के जोश में खोये होश
क्यों रही शोषण पर खामोश ?
परिवार पिता भाई माता
सबका इसमें दोष है
चाँद और गोपाल तो
बन्दे बिल्कुल निर्दोष हैं !!!
शिखा कौशिक
[नूतन ]
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6 टिप्पणियां:
your view on this issue is very correct.नारी के तुल्य केवल नारी
Shalini ji,BEHTAR YHI HOGA KI HM YAH KHE "IF IT IS AN UNIVERSAL TRUTH(NOT REALLY)it must be falsified" lambe samy se yah vichar samaj ki ek bisangti ke rup me chalan me raha hai,yah dhire dhire tirohit hota ja raha hai,dukh es bat ka hai ki aise vicharo ko jitna purusho ne prajwalit kiya hai mahilaye bahut piche nahi rahi hai,sawal sirf purusho ki soch badlne ka nahi hai blki jarurat yah hai ki mahilaye eska virodh dat kr kare,ab aisa ho bhi raha hai raftar thodi kam jarur hai,natri prashan desho me,ya elako me stithiti vlkul alag hai
यह सही है कि नारी पर पुरुष ने सदा अत्याचार किया है लेकिन सबने नहीं किया है.
जिन औरतों ने अपने बच्चों को औरत का हक़ अदा करने की शिक्षा दी है उन्होने औरत को सम्मान और सुरक्षा के साथ प्रेम और विश्वास और वह सब दिया जोकि वास्तव में औरत का हक़ है.
ज़ालिम पुरुष के ज़ुल्म के पीछे उसकी माँ की कमज़ोर शिक्षा मौजूद मिलेगी. समस्या के हर पकलू पर गौर किया जाना चाहिए.
बुरी और बेवफा औरतें भी हुई हैं जिन्होने अपने प्रेमियों, पतियों और पिताओं की ही नहीं बल्कि पूरे परिवार तक की जान ली है, अपने बच्चों तक को क़त्ल करने वाली माएँ भी हुई हैं लेकिन उनके कारण पूरी स्त्री जाति के चरित्र पर सवाल कभी नहीं लगाया पुरुष ने और किसी ने लगाया हो तो बिल्कुल ग़लत लगाया.
शिखा इसी की लड़ाई तो लड़नी बाकी है, इस अन्याय के खिलाफ हमें बार बार आवाज उठानी है , हर बार जितनी बार फिजायें और गीतिकाएं चली जायेंगी. अगर कुछ लोग चंद मुहम्मद और गोपाल को निर्दोष बतलाने वाले को अपना चश्मा उतार कर रखना होगा नहीं , आज नहीं तो कल ये लड़ाई सत्य के लिए निर्णायक होगी.
सही कहा है..
wow...just wonderful....loved it :)
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