खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .
हमने लिहाज़ के टूटे बिखरे टुकड़े देखे ;
हमने लिहाज़ के टूटे बिखरे टुकड़े देखे ;
हमने माँ को गाली देते बेटे देखे .
जिनको गोद उठाकर अब्बा खुश होते थे ;
उनके कारण रोते हमने अब्बा देखे .
जो खाते थे एक रोटी में आधी आधी
भाई ऐसे क़त्ल भाई के करते देखे .
लाये थे लक्ष्मी कहकर जिसको अपने घर
उस लक्ष्मी को आग लगाते दानव देखे .
कोख में कलियों को मसलते माली देखे;
खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .
शिखा कौशिक
10 टिप्पणियां:
कल 13/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
behtareen Rachna hai...bheetar tak kachot ti.Mubaraq.
कडवी हकीकत यही है.
kadwi sachhai...sundar rachna...
कटु यथार्थ
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
kya kahane.....ati uttam
Jindagi mein rishto ko hamesha ank de kr aur uska achche v bure score-card rakh kr jeene se aadmi khud hi bechara aur babus ban jata hy. Bhagwan ne hme maaf kar ke bhool jaane ki kshmta di hy , agar hum sub yaade sanyojit kare ge tor jo sub se buri baaten hi yaadon me upar rhengi.Yehi haqiqat he. Yashoda ji, Itne gyanpoorak blog se prichay karwane ka aabhar.
kadvi hakeekat bayan kar di.
समाज के कटु सत्य को बयान करती शसक्त रचना
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