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शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

बीवी और शौहर


बीवी और शौहर 




रात भर जागी  बीवी दर्द से जो तडपा शौहर ;
कभी बीवी के लिए क्यों नहीं जगता शौहर ?


करे जो काम बीवी फ़र्ज़ हैं उसको कहते ;
अपने हर एक काम को अहसान क्यों कहता शौहर ?


रहो हद में ये हुक्म देता बीवी को ;
मगर खुद पर कोई बंदिश नहीं रखता शौहर .


नहीं है हक़ बीवी को उठा के देख ले आँखें ;
जरा सी बात पर क्यों हाथ उठाता शौहर ?


शौहर के लिए दुनिया छोड़ देती बीवी ;
दुनिया के कहने पर उसी को छोड़ता शौहर .


                                    शिखा कौशिक 
                           [विख्यात ]





2 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति!

आकाश सिंह ने कहा…

प्रिय शिखा कौसिक जी धन्यवाद | आपका ये पोस्ट बहुत ही मार्मिक है | वास्तव में ऐसा क्यों होता है | मैं तो ऐसा कभी नही करूँगा अगर मेरी शादी हुई तो | नया साल मुबारक हो |