राधे तूने मुरली क्यूँ है चुराई ?
लगती है भोली पर करे चतुराई
राधे तूने ................
माता जसोदा के लल्ला सुनो
जो कुछ भी पूंछूं सच सच कहो
इसमें ही कान्हना है तेरी भलाई !
राधे तूने .....
किसने सिखाया मीठी मुरली बजाना ?
घर घर में जाकर माखन चुराना ;
किसने तुम्हे ये मोहनी सिखाई ?
राधे तूने .......................
कोयल से सीखा है मुरली बजाना ,
सिखलाते मित्र मुझे माखन चुराना ,
तुमने ही मुझको ये मोहनी सिखाई
राधे तूने ..............
भोला नहीं तू सीधा नहीं है ;
गोपियों की मटकी फोड़े तू ही है ,
कैसे करे तू इतनी ढिठाई ?
राधे तूने .....
राधे सुनो इन प्रश्नों को छोडो ,
लीला हमारी है परदे न खोलो ;
ढूंढ ली है मुरली जो थी छिपाई
राधे तूने .........
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
2 टिप्पणियां:
अनुपम भाव संयोजन
कल 18/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, जिन्दगी की बातें ... !
धन्यवाद!
सुन्दर रचना ..
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