सरहद पर हमें जाना है !
सरहद पर हमें जाना है
दुश्मन ने ललकारा है
मत रोक हमें अब माता .....मत रोक
मुश्किल अब रुक पाना है .
आग लगी है प्राणों में
फड़क रही हैं भुजाएं
भारत माँ ! के जयकारे से
गूंजेंगी चारो दिशाएं
दुश्मन को धूल चाटना है
अपना वचन निभाना है
मत रोक हमें अब बहना....मत रोक
मुश्किल अब रुक पाना है .
शातिर है दुश्मन हमारा
चलता वो टेढ़ी चाल है
आज उस कायर का
बनना हमको काल है
उसको काट गिराना है
झूठा अभिमान मिटाना है
मत रोक हमें अब दुल्हन ...मत रोक
मुश्किल अब रुक पाना है .
चलता वो टेढ़ी चाल है
आज उस कायर का
बनना हमको काल है
उसको काट गिराना है
झूठा अभिमान मिटाना है
मत रोक हमें अब दुल्हन ...मत रोक
मुश्किल अब रुक पाना है .
कितनी कोख उजाड़ी हैं ?
कितने छीने हैं भाई ?
सूनी करी कितनी मांगें ?
खुशियों में सेंध लगाई है
सबका सबक सिखाना है
सैनिक धर्म निभाना है
मत रोक हमें अब बेटी .....मत रोक
मुश्किल अब रुक पाना है .
जय हिंद !
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
[सभी फोटो गूगल से साभार ]
कितने छीने हैं भाई ?
सूनी करी कितनी मांगें ?
खुशियों में सेंध लगाई है
सबका सबक सिखाना है
सैनिक धर्म निभाना है
मत रोक हमें अब बेटी .....मत रोक
मुश्किल अब रुक पाना है .
जय हिंद !
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
[सभी फोटो गूगल से साभार ]
6 टिप्पणियां:
बहुत ही बढ़िया।
सीमा पर डेट वीर जवानों को हमारा सलाम।
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कल 25/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
ओजपूर्ण प्रस्तुति!
जोशीली रचना ..
रगों में दौडती रचना....
जय हिंद...
वाह ...बहुत ही सुन्दर भावनाओं से ओत-प्रोत सशक्त रचना ।
behtreen bhaavo ki rachna...
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