वृक्ष की पुकार !
वृक्ष करता है पुकार
न जाने कितनी बार ?
हे मानव !तुमने इस निर्मम कुल्हाड़ी से
मुझ पर किया वार .
अब तक सहता रहा मैं
तुम्हारा अत्याचार
अब तक सहता रहा मैं
तुम्हारा अत्याचार
तुम करते रहे मुझ से नफरत
मैं करता रहा तुम से प्यार .
मैं देता तुम्हे ऑक्सीजन
जिससे तुम्हे मिलता जीवन
हटा कर प्रदूषण
स्वच्छ बनता पर्यावरण .
यदि मैं न होता तो
होती ये भूमि बेकार
तब होती न फसल
और न होता व्यापार
इस देश की जनसँख्या है अपार
उसके लिए लाते कहाँ से खाद्यान
का भंडार ?
'कहते हैं प्रकृति माँ है !
और इन्सान उसका बेटा है '
माँ सदा देती है प्यार
पर बेटा करता उसी पर अत्याचार !
वृक्ष आगे बताता है
क्यों वह हरा सोना कहलाता है?
मिटटी का कटाव कम कर
उपजाऊपन बढाता हूँ ;
वायु मंडल को नम कर
वर्षा भी करवाता हूँ ;
औषधियां देकर
राष्ट्रीय आय बढाता हूँ ;
लकड़ी देकर अनेक व्यापार
चलवाता हूँ ,
बेंत;चन्दन,कत्था ,गोंद
इनसे चलते हैं जो व्यापार
वे ही तो है देश की प्रगति
का आधार .
बाढ़ जब आती है
सारा पानी पी जाता हूँ ;
देश को लाखों की हानि
से बचाता हूँ .
भूमि के अन्दर का
जल -स्तर ऊंचा करता जाता हूँ
रेगिस्तान के विस्तार पर
मैं ही तो रोक लगाता हूँ .
ईधन,फल -फूल ;चारा
मैं ही तो देता हूँ
लेकिन कभी तुमसे
कुछ नहीं लेता हूँ
यद् रख मानव यदि तू
मुझको काटता जायेगा
तो तू अपने जीवन को भी
नहीं बचा पायेगा ;
ऑक्सीजन;फल-फूल;औषधियां
कहाँ से लायेगा ?
किससे फर्नीचर ;स्लीपर
रेल के डिब्बे बनाएगा ?
न जाने कितने उद्योग
मुझ पर हैं आधारित ?
उन्हें कैसे चलाएगा ?
ये सब जुटाते-जुटाते
क्या तू अपना अस्तित्व
बचा पायेगा ?
कार्बन डाई ऑक्साइड का काला बादल
जब आकाश में छाएगा
तब हे मानव ! तुझे अपना
काल स्पष्ट नज़र आएगा .
तुम्हारी होने वाली
संतानों में कोई
देख;सुन;चल नहीं पायेगा
उस समय उनके लिए
वस्त्र,आहार
कहाँ से लायेगा ?
हे मानव !मुझे अपने नष्ट
होने का डर नहीं है ,
मुझे डर है कि मेरे
नष्ट होने से
तू भी नष्ट हो जायेगा !
तू भी नष्ट हो जायेगा !
तू भी नष्ट हो जायेगा !
शिखा कौशिक
[sabhi photo 'foto search ]
8 टिप्पणियां:
वृक्ष का आत्मकथ्य सुंदरता से उकेरा है!
कहते हैं प्रकृति माँ है !
और इन्सान उसका बेटा है '
माँ सदा देती है प्यार
पर बेटा करता उसी पर अत्याचार !
Sunder ...Vicharniy Panktiyan
ब्रक्षों के प्रति हमारी यह सोंच हमें हानि पंहुचा रही है इनका भी दर्द समझने की कोशिश करनी चाहिए
sateek ...sarthak abhivyakti .Badhai.
बहुत खूब... वृक्ष की पूरी कहानी सुंदर चित्रों व शब्दों के माध्यम से और मानव को सीख भी...बधाई!
प्रकृति हमारे माता पिता भी हैं , जो उनका तिरस्कार करते हैं , इन वृक्षों का कौन रखवाला !
नजाने कब हम समझेगे इन पेड़ों के दर्द को इनके महत्व को ....बहुत बढ़िया सीख सेती संदेशात्मक प्रस्तुति आभार ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
बहुत ही सार्थक रचना...
सादर बधाई...
एक टिप्पणी भेजें