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गुरुवार, 7 जुलाई 2011

अशआर

अशआर
जिसके नगमों का हर लफ्ज़ असर करता है
ऐसे शायर का तो अंदाज़ अलग होता है .

वो हकीकत को शायरी में ढाल देता है
मगर उसको न कभी खुद पे नाज़ होता है .

वो करता शुक्रिया हौसला अफजाई का
खुशामदों से मगर वो नाराज़ होता है .

जहाँ पर ख़त्म होता है दुनिया का हुनर
वही से उसके हुनर का आगाज़ होता है .

वो दोस्तों के लिए है बड़ा मासूम मगर
दुश्मनों के लिए वो चतुर बाज़ होता है .

वो हर अशआर में दिल खोलकर रख देता है
उसके दिल में नहीं कोई साज़ होता है .

कैसे लिख लेता है दिल को चीरती सी ग़ज़ल
खुदा जाने या वो ; एक raaz होता है
shikha kaushik

8 टिप्‍पणियां:

Manish Khedawat ने कहा…

वो करता शुक्रिया हौसला अफजाई का
खुशामदों से मगर वो नाराज़ होता है !

sachhai bayan ki hai shikha zi !
bahool khoob likha hai :)

Shalini kaushik ने कहा…

वो हर अशआर में दिल खोलकर रख देता है
उसके दिल में नहीं कोई साज़ होता है
vah bahut khoob.

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

जिसके नगमों का हर लफ्ज़ असर करता है
ऐसे शायर का तो जुदा अंदाज होता है.
वाह शिखा जी, हर अशआर जुदा अंदाज में लिखा है.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

वो हकीकत को शायरी में ढाल देता है
मगर उसको न कभी खुद पे नाज़ होता है .

वो करता शुक्रिया हौसला अफजाई का
खुशामदों से मगर वो नाराज़ होता है .

Bahut Sunder..... Khoob kaha...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वो करता शुक्रिया हौसला अफजाई का
खुशामदों से मगर वो नाराज़ होता है .

जहाँ पर ख़त्म होता है दुनिया का हुनर
वही से उसके हुनर का आगाज़ होता है .

अब यह लिखूं कि वाह क्या बात कही है ..तो खुशामद मत समझियेगा .. :):)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छे अशआर!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

very nice post.abhar

आशुतोष की कलम ने कहा…

जहाँ पर ख़त्म होता है दुनिया का हुनर
वही से उसके हुनर का आगाज़ होता है .
............
सुन्दर रचना