जन्म के ही साथ मृत्यु जोड़ देता है ;
हे प्रभु ! ये खेल कैसे खेल लेता है ?
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माता -पिता की आँखों क़ा जो है उजाला ;
अंधे की लाठी और घर क़ा जो सहारा ;
ऐसे ''श्रवण '' को भी निर्मम छीन लेता है.
हे प्रभु !ये खेल कैसे खेल लेता है ?
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हाथ में मेहदी रचाकर ,ख्वाब खुशियों के सजाकर ,
जो चली फूलों पे हँसकर ,मांग में सिन्दूर भरकर ,
ऐसी सुहागन क़ा सुहाग छीन लेता है .
हे प्रभु ! ये खेल कैसे खेल लेता है ?
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जन्म देते ही सदा को सो गयी ,
चूम भी न पाई अपने लाल को ,
नौ महीने गर्भ में रखा जिसे ,
देख भी न पाई एक क्षण उसे ,
दुधमुहे बालक की जननी छीन लेता है .
हे प्रभु ! ये खेल कैसे खेल लेता है ?
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बांहों क़ा झूला झुलाता ,घोडा बनकर जो घुमाता ,
दुनिया क्या है ? ये बताता ,गोद में हँसकर उठाता ,
ऐसे पिता क़ा साया सिर से छीन लेता है .
हे प्रभु ये खेल कैसे खेल लेता है ?
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याद में आंसू बहाता ,राह में पलके बिछाता ,
हाथ में ले हाथ चलता ,तारे तोड़ कर वो लाता ,
ऐसे प्रिय को क्यूँ प्रिया से छीन लेता है .
हे प्रभु ये खेल कैसे खेल लेता है ?
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छोड़कर सुख के महल जो दुःख के बन में साथ थी ,
जिसके ह्रदय में हर समय श्री राम नाम प्यास थी ,
ऐसी सिया को राम से क्यूँ छीन लेता है ?
हे प्रभु ये खेल कैसे खेल लेता है ?
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7 टिप्पणियां:
aisee siya ko ram se kyon chheen leta hai?
hey prabhu ye khel kaise khel leta hai?
behad marmik abhivyakti.vastav me aansoo nikal aaye...
प्रभु ये खेल लेता है....क्योंकि पुरानी पड़ चुकी या दिल से उतर चुकी जीव रुपी कठपुतलियों बदल कर वो नयी कठपुतलियों को इस रंग मंच पर नचाना चाहता है.
कृपया अन्यथा न लें ये सिर्फ मेरे अपने विचार हैं.
आपने बहुत अच्छा लिखा है.
शिखा जी
दिल के दर्द की उपज है ये रचना और सीधा दिल पर असर करती है……………वैसे यशवन्त जी का कहना भी सही है मगर प्रश्न अपनी जगह शाश्वत है जो हर दिल मे जरूरउठता है मगर इसका जवाब भी वक्त आने पर वो ही दे भी देता है ऐसा मेरा अनुभव है।
nice post
बहुत मार्मिक भाव संजोये रचना.....
अच्छी और मर्मस्पर्शी रचना। इस दर्द को वही समझ सकता है जिसका कोई अपना खोया हो। सच में आपकी रचना को पढकर मुझे मेरी मां याद आ गई जो मुझसे तक बिछड गई थी जब मैं महज 4 साल का था। अच्छी रचना।
मै नहीं जानता की ये कविता आपने कब रची होगी लेकिन इतना तय है जिस दिन किसी अपने को खोने का अहसास हुआ होगा तो वो पल इस रचना के माध्यम से बहार निकल आया होगा | बहुत कुछ कहती है ये रचना |
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