जीवन में ह्रदय के उदगार विभिन्न रूप में प्रकट होते हैं.कभी कहानी कभी कविता से भरा ये ब्लॉग.....
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सोमवार, 8 नवंबर 2010
sachchi luxmi
साहिल ने तनु को आवाज लगाकर कहा-''तनु कहाँ रह गयी तुम? हमेशा तुम्हारी वजह से लक्ष्मी पूजन में देरी होती है. साहिल के बोलने क़ा लहजा इतना सख्त था की तनु की आँखों में आंसू आ गए.ये देखकर साहिल की माताजी ने साहिल को डाटते हुए कहा ''साहिल मैंने तो तुझे सदा स्त्री क़ा सम्मान करना सिखाया था फिर तू इतना कैसे बिगड़ गया? अरे! पहले घर की लक्ष्मी क़ा तो सम्मान कर tabhi तो teri पूजा से लक्ष्मी देवी prasann hogi .'' साहिल को अपनी गलती क़ा अहसास हुआ और उसने तनु की ओर मुस्कुराते हुए कहा ''गृहलक्ष्मी जी यहाँ आ जाइये हमे आपसे माफ़ी भी मांगनी है और आपकी पूजा भी करनी है''. साहिल की बात सुनकर माता जी और तनु दोनों हस पड़ी.
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5 टिप्पणियां:
काश हर बहु को ऐसी ही सास मिल सके.
गृहलक्ष्मी वास्तव में लक्ष्मी का ही एक रूप है, उसका सम्मान पहले होना चाहिए।
ऐसी सासू माँ सबको मिले....
सुन्दर पोस्ट .बधाई !
yadi har sas aise hi bahu ko beti ka pyar de aur apne bete me bhi yahi sanskar bhare to shayad gharon kee aadhi tensions mit sakti hain aadhi isliye kyonki aadhi to tab mitengi jab bahu sas ko maa manegi.
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