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शुक्रवार, 27 जून 2014

''नारी तुम हो सुन्दरतम ''



उसने कहा
तुम सुन्दर नहीं !
मन ने कहा
''तुम हो ''
तुम
काली घटाओं सम
शीतल ,
ममता से भरे हैं
तुम्हारे नयन ,
मंगल भावों से युक्त
तुम्हारा ह्रदय  ,
निश्छल स्मित
से दीप्त वदन ,
सेवा हेतु पल-पल
उद्यत ,
आलस्य न
तुममें किंचित ,
इसलिए
जो कहे तुम्हें
''तुम सुन्दर नहीं ''
वो हो जाये
स्वयं लज्जित ,
तुम सृष्टि  की  रचना
अद्भुत  ,
मोहनी भी तुम ,
कल्याणी भी तुम ,
तुमसे आलोकित
विश्व सकल ,
मन पुनः बोला
तुम नारी हो
''तुम हो सुन्दरतम '

शिखा कौशिक 'नूतन'


1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

बढ़िया सुंदर रचना