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शनिवार, 28 अप्रैल 2012

इसीलिए तो माँ दिल पर राज़ करती है


[google से sabhar ]
कभी आंसू नहीं मेरी आँख में आने देती ;
मुझे माँ में खुदा की खुदाई दिखती है .

लगी जो चोट मुझे आह उसकी निकली ;
मेरे इस जिस्म में रूह माँ की ही बसती है .

देखकर खौफ जरा सा भी  मेरी आँखों में ;
मेरी माँ मुझसे दो कदम आगे चलती है .

मेरे चेहरे से मेरे दिल का हाल पढ़ लेती ;
मुझे माँ कुदरत का  एक करिश्मा लगती है .

नहीं कोई भी  माँ से बढ़कर दुनिया में ;
इसीलिए तो माँ दिल पर  राज़ करती  है .

                        शिखा कौशिक  
                       [vikhyat ]




6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

एक नग़मा मां के लिए

Kailash Sharma ने कहा…

बिलकुल सच..माँ की तुलना कौन कर सकता है...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...

Sunil Kumar ने कहा…

माँ तुझे सलाम ,सुंदर और संवेदनशील रचना बधाई

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Sunder...

M VERMA ने कहा…

माँ को सलाम
माँ तो बस माँ है

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर रचना ....
बधाई आपके शुभ विचारों को .....!!