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शनिवार, 7 मई 2011

खुदा का नूर है-the mother




बड़े तूफ़ान में फंसकर भी मैं बच जाती हूँ ;
दुआएं माँ की मेरे साथ साथ चलती हैं .
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तमाम जिन्दगी उसकी ही तो अमानत है  ;
सुबह होती है उसके साथ ;शाम ढलती है .
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खुदा का नूर है वो रौशनी है आँखों की ;
शमां बनकर वो दिल के दिए में जलती है 
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नहीं वजूद किसी का कभी उससे अलग ;
उसकी ही कोख में ये कायनात पलती है .
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उसके साये में गम के ओले नहीं आ सकते ;
दूर उससे हो तो ये बात बहुत खलती है .
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मेरे लबो पे सदा माँ ही माँ  रहता है ;
इसी के  डर से  बला अपने आप टलती है .
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5 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर .. माँ के प्रति सच्चे एहसास

कविता रावत ने कहा…

...
माँ को समर्पित बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ..आभार

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

हर पंक्ति अपने आप में पूर्ण है ........ पढ़कर आँखें नम हुई शिखा ...बहुत बढ़िया

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर फोटो और सुंदर कविता ....थैंक यू शिखा दी

आकाश सिंह ने कहा…

आपकी रचना मुझे बहुत पसंद आया धन्यवाद |