मेरी बेटी ''गूगल से साभार ''
फूल सी प्यारी है वो और मखमल सी नरम ,
है चपल तितली के जैसी ;रेशमी उसकी छुअन ,
दौड़ती खरगोश सी,कोयल के जैसी बोलती,
मीठी-मीठी बातों से कानों में अमृत घोलती ,
खिलखिलाती धूप-सम ;मुस्कुराती चांदनी,
बाँटती खुशियों के मोती ,क्रोध में है दामिनी ,
वो क्षमा है ,वो शिवा है,वो है काली-भैरवी ,
वो जया है ;वो है दुर्गा,वो है सारा-वाभ्रवी,
मुझसे ही जन्मी है वो ,मेरा ही तो रूप है ,
सृष्टि की संचालिका ,अनुपम है वो अनूप है .
शिखा कौशिक
10 टिप्पणियां:
मुझसे ही जन्मी है वो ,मेरा ही तो रूप है ,
सृष्टि की संचालिका ,अनुपम है वो अनूप है
Bahut sunder....Hridaysparshi bhav
Fantastic and very touchy expressions.
Regards.
बहुत सुन्दर रचना .
बधाई हो!
सुन्दर रचना है!
http://shayaridays.blogspot.com/
जितना सुंदर चित्र उससे भी प्यारी कविता !
अत्यन्त मार्मिक प्रस्तुति है
सुन्दर और बेहतरीन कविता
वो क्षमा है ,वो शिवा है,वो है काली-भैरवी , वो जया है ;वो है दुर्गा,वो है सारा-वाभ्रवी,मुझसे ही जन्मी है वो ,मेरा ही तो रूप है ,सृष्टि की संचालिका ,अनुपम है वो अनूप है .
बहुत खुबसूरत लिखा है आपने।
वो क्षमा है ,वो शिवा है,वो है काली-भैरवी , वो जया है ;वो है दुर्गा,वो है सारा-वाभ्रवी,मुझसे ही जन्मी है वो ,मेरा ही तो रूप है ,सृष्टि की संचालिका ,अनुपम है वो अनूप है .
बहुत खुबसूरत लिखा है आपने।
एक टिप्पणी भेजें