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गुरुवार, 10 मार्च 2011

'...जिनकी माँ नहीं होती .'

''हमारी हर खता को मुस्कुराकर माफ़ कर देती ;
खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती .''

''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ;
कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती .''

''मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती .''

''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती .''

''खुदा के दिल में रहम का दरिया है बहता ;
उसी कि बूँद बनकर ''माँ' दुनिया में रहती .''

''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
                                           शिखा कौशिक
          

मंगलवार, 1 मार्च 2011

ॐ नमः शिवाय

आज ह्रदय से प्रभु तुम्हारा
अनुपम ध्यान मैं करती हूँ  ;
कलम बनेगी कमंडल मेरा
कविता से पूजा करती हूँ .
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प्रभु  आपके अनुपम रूप को
शब्दों में कैसे लिख दूँ ;
यही सोचकर ह्रदय में मेरे
असमंजस -सी रहती है .
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कोई तुमको भोला कहता
कोई कहता भूतनाथ  ;
मैं नाम तुम्हारा   क्या रख दूँ ?
तुम ही बतलाओ जगतनाथ .
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त्रिनेत्र हैं पास तुम्हारे   जब
मुझको क्यों जीवन -चिंता हो !
संकट मुझपर जब भी आये 
तब तुम ही सहायता करते हो .
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नीले रंग का यह गात प्रभु
आकाश सद्रश ही लगता है ;
हो  गगन तुम्ही या तुम्ही गगन 
कौतुहल हर पल रहता .
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मस्तक पर अर्ध -चन्द्र शीतल 
माँ गौरी बाएं विराज रही ;
नंदी अतिप्रिय तुम्हारे हैं 
गंगा जटा में है साज रही  .
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एक   बार प्रभु मुख दर्शन ही 
सारी पीड़ा हर लेता है ;
सर्पों का जोड़ा ग्रीवा में 
अति  अद्भुत शोभा देता है .
*********************** जय भोलेनाथ !


शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

खुदा का नूर ''माँ''





बड़े तूफ़ान में फंसकर भी मैं बच जाती हूँ ;
दुआएं माँ की मेरे साथ साथ चलती हैं .
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तमाम जिन्दगी उसकी ही तो अमानत है  ;
सुबह होती है उसके साथ ;शाम ढलती है .
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खुदा का नूर है वो रौशनी है आँखों की ;
शमां बनकर वो दिल के दिए में जलती है 
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नहीं वजूद किसी का कभी उससे अलग ;
उसकी ही कोख में ये कायनात पलती है .
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उसके साये में गम के ओले नहीं आ सकते ;
दूर उससे हो तो ये बात बहुत खलती है .
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मेरे लबो पे सदा माँ ही माँ  रहता है ;
इसी के  डर से  बला अपने आप टलती है .
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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

आँख का आंसू

ओ मेरी आँख के आंसू !
तू अपना धर्म निभाना ;
लगे जब ठेस इस दिल को
तभी तू आँख में आना .
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किसी को देखकर भूखा
तड़प जाये जो मेरा मन ;
किसी की बेबसी पर जब
करे मानवता भी क्रंदन ;
निकलकर तू उसी पल
मेरी पलकें भीगा जाना.
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
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कोई अपना बिछड़ जाये
या मुझसे रूठ ही जाये ;
मेरा देखा हुआ हर स्वप्न  
झटके में बिखर जाये ;
मेरे दिल की तपन को
तू बरसकर ठंडा कर जाना ,
लगे जब ठेस इस दिल
को तभी तू आँख में आना .
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बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

है अगर कुछ आग दिल में ..

है अगर कुछ आग दिल में ;
तो चलो ए साथियों !
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों .
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रौंद कर हमको चला
जाता है जिनका कारवा ;
ऐसी सरकारों का सर
मिलकर झुका दे साथियों .
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रौशनी लेकर हमारी;
जगमगाती कोठियां ,
आओ मिलकर नीव हम 
इनकी हिला दे साथियों .
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घर हमारे फूंककर 
हमदर्द बनकर आ गए ;
ऐसे मक्कारों को अब 
ठेंगा दिखा दे   साथियों .
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जो किताबे हम सभी को 
बाँट देती जात में;
फाड़कर ,नाले में उनको 
अब बहा दे   साथियों .
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हम नहीं हिन्दू-मुस्लमान    
हम सभी इंसान हैं ;
एक यही नारा फिजाओं  में 
गुंजा दे साथियों .
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है अगर कुछ आग दिल में 
तो चलो ए साथियों 
हम मिटा दे जुल्म को 
जड़ से मेरे ए साथियों .

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