अब मैं कभी नहीं रोउंगी ;
अब मैं कभी निराश न होउंगी ;
गम जितने देने हो दे दे;
अब मैं कभी उदास न होउंगी
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कभी थमेंगे नहीं ये हाथ;
पग बढ़ते जायेंगे आगे ;
बाधाओं की आग में जलकर ;
भले मैं बन जाऊं एक राख;
अब कभी दिल न टूटेगा
दिल में न कोई टीस ही होगी.
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हर आशा को मन में रखकर;
प्रतिपल उसका ध्यान रखूंगी;
न घुटने दूंगी अभिलाषा;
संघर्षों से पूरी करुँगी;
और अगर पूरी न हुई तो
दोबारा प्रयास करुँगी.
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अब मैं कभी नहीं रोउंगी ;
अब मैं कभी निराश न होउंगी ;
गम जितने देने हो दे दे;
अब मैं कभी उदास न होउंगी
6 टिप्पणियां:
बहुत सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति @मोहन भागवत जी-अब और बंटवारा नहीं
बहुत सुंदर और आशावादी रचना।
प्रभावी,
शुभकामना,
जारी रहें !!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज)
इरादे साफ एवं सुंदर भाव!
इरादे साफ एवं सुंदर भाव!
कदम से कदम जब आगे बढ़ेगी
मँजिले तो साथ हमेशा चलेगी
प्रयास तो बस हमेशा जारी रहे.....
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