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मंगलवार, 1 जनवरी 2013

आइटम सॉग की मल्लिकाओं हाज़िर हो !!

 Malaika AroraKareena KapoorIndian model Poonam Pandey poses during a fashion event in Mumbai on June 25, 2011.
Katrina Kaif

स्त्री देह को उघाड़कर
पुरुष की हवस को हवा देने वाली
चुप क्यों हो ?
छिपी हो कहाँ ?
''दामिनी '' पर हुई दरिंदगी में
अपना गुनाह क़ुबूल करो !
पूनम पांडे  एंड  कम्पनी  हाज़िर हो !!


मुन्नी बदनाम हुई , हू ला ला ,
शीला की जवानी ,चिकनी-चमेली
बनकर थिरकती और नोट बटोरती
मलैका ,विद्या ,कैटरीना और करीना
क्यों  छिप  जाती हो
स्त्री देह को आइटम बनाकर
अपने अति सुरक्षित बंगलों में ?

हर आम स्त्री की अस्मत पर
होते हमलों में अपना गुनाह  क़ुबूल करो !
आइटम सॉग की मल्लिकाओं हाज़िर हो !!


 नारी होकर नारी के सम्मान को डसती
आम नारी की गरिमा के गले में
फंदे सी कसती ,
नारी देह को माल बनाकर
बेचती ,मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता
परोसती ,
सड़क पर गुजरती ,बस में जाती
आम युवती पर कसी जाती फब्तियों में
अपना गुनाह क़ुबूल करो
राखी सावंत एंड कम्पनी हाज़िर हो !!
 
                        शिखा कौशिक 'नूतन'


10 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति शुभकामना देती ”शालिनी”मंगलकारी हो जन जन को.-२०१३

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति शुभकामना देती ”शालिनी”मंगलकारी हो जन जन को.-२०१३

बेनामी ने कहा…

प्रभावी लेखनी,
नव वर्ष मंगलमय हो,
बधाई !!

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

वर्ष 2013 आपको सपरिवार शुभ एवं मंगलमय हो ।



शासन,धन,ऐश्वर्य,बुद्धि मे शुद्ध-भाव फैलावे---विजय राजबली माथुर

vandana gupta ने कहा…

्शालिनी जी बिल्कुल सही कहा है ऐसे गाने भी गलत असर डालते हैं मानसिकता पर और आज ये सब बदलने कीजरूरत है।

Kailash Sharma ने कहा…

बिल्कुल सच कहा है..बहुत प्रभावी रचना..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

virendra sharma ने कहा…

आपने सटीक विवेचना की है .प्रकृति में नर और मादा पुरुष और प्रकृति के अधिकार समान हैं इस लिए एक संतुलन है ,प्रति -सम हैं प्रकृति के अवयव ,दो अर्द्धांश एक जैसे हैं .आधुनिक मानव एक

अपवाद है .एक अर्द्धांश को दोयम दर्जे का समझा जाता है उसके विरोध को पुरुष स्वीकार नहीं कर पाता ,उसकी समझ में नहीं आता है वह क्या करे लिहाजा वह प्रति क्रिया करता है .घर में नारी

स्थापित हो तो बाहर समाज में भी हो .इस दिशा में हर स्तर पर काम करना होगा .बलात्कार जैसे जघन्य अपराध तभी थमेंगे .

प्रासंगिक वेदना को स्वर दिया है .

ये कविता नहीं हमारे वक्त का रोज़ नामचा है .



व्यंग्य और तंज अपनी जगह हैं सच ये है ये नजला इन कलाकारों पर नहीं डाला जा सकता .हेलेन के दौर से केबरे का दौर रहा है समाज में .डिस्कोथीक और नांच घर सातवें दशक में भी थे भारत

में उससे पहले भी नवाबों के बिगडेल लौंडों को तहजीभ सीखने ,समाज में उठ बैठ सीखने तवायफों के कोठों पे भेजा जाता था .लेकिन समाज इतना टूटा न था कानून इतना अपंग न था .कुछ मूल्य थे

,क़ानून के शासन का भय था जो अब नहीं है . बेशक अब क़ानून को अपराध को ग्लेमराइज किया जा रहा है .चैनलों पर .लम्पट चरित्र के लोग संसद में भी विराजमान हैं .मूल्य बोध कहाँ है समाज में

क्या घर में औरत की कोई सुनता है उसके साथ दुभांत नहीं है ?समस्या का एकांगी दोषारोपण किसी एक पक्ष पर नहीं लगाया जा सकता .

आइटम सोंग करना पेशा है .ग्लेमर है .इसके निचले पायेदान पे बार गर्ल्स हैं जो अपनी आजीविका पूरे एक परिवार का भरण पोषण करने निकलीं थीं .उन्हें अपने धंधे से बे -दखल कर दिया मुंबई ने .

लेकिन अपराध .और बलात्कार बदस्तूर ज़ारी हैं मुंबई में .

क्या आपने शबाना आज़मी और जया बच्चन की सिसकियाँ नहीं सुनी चैनलों पर संसद में ?

वाणी गीत ने कहा…

मुझे भी समझ नहीं आता की ये समृद्ध महिलाएं इतने घटिया , वाहियात गाने या नृत्य करने पर राजी क्यों होती है!!

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

बलात्कार होने से रोकने के लिए पहले यह जानना पड़ेगा कि दुनिया में सबसे पहले किसने बलात्कार की गंदी परंपरा शुरू की ?
और
भारत में कब से बलात्कार होते आ रहे हैं ?
http://blogkikhabren.blogspot.in/2013/01/balatkar.html

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

बलात्कार होने से रोकने के लिए पहले यह जानना पड़ेगा कि दुनिया में सबसे पहले किसने बलात्कार की गंदी परंपरा शुरू की ?
और
भारत में कब से बलात्कार होते आ रहे हैं ?
http://blogkikhabren.blogspot.in/2013/01/balatkar.html