संघर्ष में आनंद है जो कामयाबी में कहाँ !
दर्द में जो बात है वो बात राहत में कहाँ !
मुद्दा कोई उलझा रहे चलती रहें बस अटकलें ,
जो मज़ा उलझन में है वो सुलझने में कहाँ !
ज़िंदगी की मुश्किलों से रोज़ टकराते रहें ,
ज़िंदगी के साथ है सब मौत आने पर कहाँ !
बरसो बाद दोस्त मिला दिल को मिली कितनी ख़ुशी !
ये गर्मजोशी ,शिकवे ,गिले रोज़ मिलने में कहाँ !
जो बात गर्म खून में वो ठंडे में कहाँ !
शिखा कौशिक
5 टिप्पणियां:
जीवन में हर दिन कुछ प्रेरणा देता रहे ....
बहुत सुन्दर, बधाई.
jivan sangharso se hi nikharta hai aur anvarat nyee prerna pradan krta rahta hai
सामने सागर हो तो फिर प्यास का क्या मज़ा
मैं जब भी गुजरूँ ,रेगिस्तान से गुजरूँ. ....... (शायर का नाम याद नहीं आ रहा)
कुछ इसी अंदाज में लिखी आपकी कविता मुझ पर तो असर कर गयी......"हमें सुकून की नहीं कशमश की चाह,जो बात गर्म खून में है वो ठन्डे में कहाँ "........ वाह ......
bahut badhiya...
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