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शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

संघर्ष में आनंद है जो कामयाबी में कहाँ !





संघर्ष में आनंद  है जो  कामयाबी में कहाँ !
दर्द  में जो बात है वो बात राहत में कहाँ !

मुद्दा कोई उलझा रहे चलती रहें बस अटकलें  ,
जो मज़ा उलझन में  है  वो सुलझने में कहाँ !

ज़िंदगी की मुश्किलों से रोज़ टकराते रहें ,
ज़िंदगी के साथ है सब  मौत आने पर कहाँ !

बरसो बाद दोस्त मिला दिल को मिली कितनी ख़ुशी !
ये गर्मजोशी ,शिकवे ,गिले  रोज़ मिलने में कहाँ !


हमको सुकून की नहीं हमें कशमकश की चाह ,
जो बात गर्म खून में वो ठंडे में कहाँ !

                                         शिखा कौशिक 


5 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जीवन में हर दिन कुछ प्रेरणा देता रहे ....

S.N SHUKLA ने कहा…

बहुत सुन्दर, बधाई.

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

jivan sangharso se hi nikharta hai aur anvarat nyee prerna pradan krta rahta hai

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, ने कहा…

सामने सागर हो तो फिर प्यास का क्या मज़ा
मैं जब भी गुजरूँ ,रेगिस्तान से गुजरूँ. ....... (शायर का नाम याद नहीं आ रहा)
कुछ इसी अंदाज में लिखी आपकी कविता मुझ पर तो असर कर गयी......"हमें सुकून की नहीं कशमश की चाह,जो बात गर्म खून में है वो ठन्डे में कहाँ "........ वाह ......

शारदा अरोरा ने कहा…

bahut badhiya...