हे भोले ! तेरे हम भक्त हैं ![भक्ति....]
अल्हड़ हैं ..अलमस्त हैं ;
हे भोले ! तेरे हम भक्त हैं ;
पर भव-सागर में फंसे हुए हैं ;
माया बंधन से कसे हुए हैं ;
रक्षा करो हे नाथ बाबा अलख निरंजन !
बोलो बम बम बम...बाबा अलखनिरंजन !
धर्म का लोप हुआ ...त्रस्त है दुनिया सारी;
घटा पुण्य का मान ...पाप का पलड़ा भारी ;
अपने डमरू की डम डम से हर लो अघ का तम ;
बाबा अलख निरंजन ! बोलो बम बम बम !
धोकर सभी के पाप हुई गंगा मैली ;
संस्कार की बिगड़ गयी सब भाषा शैली ;
हर लो संकट आकर अब मेरे भगवन !
बाबा अलख निरंजन ! बोलो बम बम बम !
सारा जग द्वेष की आग में धू धू जलता
तुम्ही करो उद्धार जगत के कर्ता -धर्ता ;
तुम तो हो उद्धारक और हम हैं अधमाधम ;
बाबा अलख निरंजन !बोलो बम बम बम
जय गौरी शंकर की !
जय भोलेनाथ की !
शिखा कौशिक
3 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर भोले नाथ की रचना
nice presentation..फांसी और वैधानिक स्थिति
भक्ति रस से परीपूर्ण सार्थक रचना...
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