माफिया का राज अब नित नया षड्यंत्र है .
जो गिरेबां की तरफ बढ़ आये हाथ न्याय का ;
''काट दो उस हाथ को '' ये अपराधियों का मन्त्र है .
जो भी ईमानदार हो उसको जला दो आग में ;
कुछ भी यहाँ करने को बेईमान अब स्वतंत्र है .
देश जो शांति का था कभी स्थाई सदन ;
आज पलटा रूप हथियारों का ये संयंत्र है .
माफिया हैं हुक्मरान या हुक्मरान माफिया
सच कहे कैसे जुबां ? भयभीत स्वरयंत्र है .
SHIKHA KAUSHIK
2 टिप्पणियां:
माफिया हैं हुक्मरान या हुक्मरान माफिया
सच कहे कैसे जुबां ? भयभीत स्वरयंत्र है
sach kah rahi hain aap fir bhi aap ki ye lekhni hi bata rahi hai ki kahin n kahin ab bhi sahas shesh hai.bahut khoob vah.
सटीक और सार्थक लिखा है ...
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