सर्वप्रथम आप जानिए ''संकष्टनाशनस्तोत्रं '' के बारे में -
''नारद'' जी कहते हैं -
आयु,धन, मनोरथ-सिद्धि ;स्मरण से मिले वरदान ;
'वक्रतुंड' प्रथम नाम है ;''एकदंत'' है दूजा ;
तृतीय 'कृष्णपिंगाक्ष' है ;'गजवक्त्र' है चौथा ;
'लम्बोदर'है पांचवा,छठा 'विकट' है नाम,
'विघ्नराजेन्द्र' है सातवाँ ;अष्टम 'धूम्रवर्ण' भगवान,
नवम 'भालचंद्र' हैं ,दशम 'विनायक' नाम ,
एकादश 'गणपति' हैं ,द्वादश 'गजानन' मुक्तिधाम ,
प्रातः-दोपहर-सायं जो नित करता नाम-ध्यान ;
सब विघ्नों का भय हटे, पूरण होते काम ,
बारह-नाम का स्मरण,सब सिद्धि करे प्रदान ;
ऐसी महिमा प्रभु की उनको है सतत प्रणाम ,
इसका जप नित्य करो ;पाओ इच्छित वरदान ;
विद्या मिलती छात्र को ,निर्धन होता धनवान ,
जिसको पुत्र की कामना उसको मिलती संतान ;
मोक्षार्थी को मोक्ष का मिल जाता है ज्ञान ,
छह मास में इच्छित फल देता स्तोत्र महान ,
एक वर्ष जप करने से होता सिद्धि- संधान ,
ये सब अटल सत्य है ,भ्रम का नहीं स्थान ;
मैं 'नारद 'यह बता रहा ;रखना तुम ये ध्यान ,
जो लिखकर स्तोत्र ये अष्ट-ब्राहमण को करे दान ;
सब विद्याएँ जानकर बन जाता है विद्वान .''
[श्री गणेश जी की प्रेरणा से यह 'संकष्टनाशनस्तोत्रं' सरल भाषा में प्रस्तुत किया है .आने वाले दिनों में भगवान श्री गणेश के आठ प्रसिद्द रूपों का एक -एक कर परिचय प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगी .]
शिखा कौशिक
8 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना।
गणेशोत्सव की मंगल कामनाएँ।
बहुत सुन्दर..गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं !
bahut achchhi tarah se aapne ganesh ji ki stuti ki hai aabhar aapko ganesh chaturthi kee bahut bahut shubhkamnayen.
सुन्दर... शुभकामनायें आपको भी....
गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें आपको भी....
.अच्छी जानकरी दे रहीं है आप
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं !
गणेश उत्सव पर्व के अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.....
गणेश उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
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