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बुधवार, 30 मार्च 2011

''सत्यमेव जयते ''

आंसू को तेजाब बना लो
इस दिल को फौलाद बना लो
हाथों को हथियार बना लो
बुद्धि को तलवार बना लो

फिर मेरे संग कदम मिलाकर
प्राणों में तुम आग लगाकर
ललकारों उन मक्कारों को
भारत माँ के गद्दारों को ,

धुल चटा दो इन दुष्टों को
लगे तमाचा इन भ्रष्टों को
इन पर हमला आज बोल दो
इनके सारे राज खोल दो ,

आशाओं के दीप जला दो
मायूसी को दूर भगा दो
सोया मन हुंकार भरे अब
सच की जय-जयकार करें सब ,

झूठे का मुंह कर दो काला
तोड़ो हर शोषण का ताला
हर पापी को कड़ी सजा दो 
कुकर्मों  का इन्हें मजा दो ,

सत्ता मद में जो हैं डूबे
लगे उन्हें जनता के जूतें
जनता भूखी नंगी बैठी
उनकी बन जाती है कोठी ,

आओ इनकी नीव हिला दे
मिटटी में अब इन्हें मिला दे
भोली नहीं रही अब जनता
इतना इनको याद दिला दे ,

हम मांगेंगे अब हक़ अपना
सच कर लेंगे हर एक सपना
आगे बढना है ये कहते
''सत्यमेव जयते -सत्यमेव जयते  ''




5 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

आंसू को तेजाब बना लो इस दिल को फौलाद बना लो हाथों को हथियार बना लो बुद्धि को तलवार बना लो
bahut joshila aahvan aabhar .

आकाश सिंह ने कहा…

शिखा जी सत्य की हमेशा जय होती है| आपने तो भ्रस्टाचार के खिलाफ अपनी लेखनी के माध्यम से आन्दोलन ही छेढ़ दिया है |
बहुत ही भावभरी रचना है |
सधन्यवाद |

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

वीर रस की बङी खतरनाक कविता
लिखी । रानी लक्ष्मीबाई जी । मुझ
जैसा डरपोक तो कभी आपके साथ न
जायेगा ।.. ऐसा लङाकू स्वभाव भगवान
किसी को न दे । जय हो । जय हो ।

Anita ने कहा…

जोश भरी कविता ! बाबा रामदेव जी का असर लगता है न !

hamarivani ने कहा…

मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..