''हमारी हर खता को मुस्कुराकर माफ़ कर देती ;
खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती .''
''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ;
कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती .''
''मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती .''
''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती .''
''खुदा के दिल में रहम का दरिया है बहता ;
उसी कि बूँद बनकर ''माँ' दुनिया में रहती .''
''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
शिखा कौशिक
खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती .''
''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ;
कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती .''
''मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती .''
''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती .''
''खुदा के दिल में रहम का दरिया है बहता ;
उसी कि बूँद बनकर ''माँ' दुनिया में रहती .''
''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
शिखा कौशिक
11 टिप्पणियां:
''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
सच है .... हृदयस्पर्शी रचना
माँ कोई खुदा नहीं पर माँ खुदा से कम नहीं क्या बात कह दी आपने.कुछ कहने लायक छोड़ा ही नहीं..
''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
सच कहा आपने!
हृदयस्पर्शी रचना !
'उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''....
माँ केवल माँ होती है...बहुत मार्मिक रचना..अंतस को छू गयी..
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
शिखा जी आपकी रचना दिल को छु देने वाली है, मुझे ऐसा लगता है की ये कविता मेरे लिए लिखी गई है अब क्या बताएं हुआ यूं की १ मार्च २०११ को मेरी माँ का अक्सिडेंट हो गया वो पूर्ण रूप से घायल हो गईं मेरे आँखों से ३ बार आँशु आये थे अभी भी मेरी माँ अस्पताल में हैं, आप सभी का दुआवों की उन्हें जरुरत है और मैं हमेशा यही सोचता था की अगर आज "मेरी माँ ना होती" तो शायद....
आपकी रचना दिल को वाकई में मर्माहत कर देनेवाली है ...
मुझे लगता है ये मेरे लिए ही लिखी गयी है |
शिखा जी आपकी रचना दिल को छु देने वाली है, मुझे ऐसा लगता है की ये कविता मेरे लिए लिखी गई है अब क्या बताएं हुआ यूं की १ मार्च २०११ को मेरी माँ का अक्सिडेंट हो गया वो पूर्ण रूप से घायल हो गईं मेरे आँखों से ३ बार आँशु आये थे अभी भी मेरी माँ अस्पताल में हैं, आप सभी का दुआवों की उन्हें जरुरत है और मैं हमेशा यही सोचता था की अगर आज "मेरी माँ ना होती" तो शायद....
आपकी रचना दिल को वाकई में मर्माहत कर देनेवाली है ...
मुझे लगता है ये मेरे लिए ही लिखी गयी है |
शिखा जी आपकी रचना दिल को छु देने वाली है, मुझे ऐसा लगता है की ये कविता मेरे लिए लिखी गई है अब क्या बताएं हुआ यूं की १ मार्च २०११ को मेरी माँ का अक्सिडेंट हो गया वो पूर्ण रूप से घायल हो गईं मेरे आँखों से ३ बार आँशु आये थे अभी भी मेरी माँ अस्पताल में हैं, आप सभी का दुआवों की उन्हें जरुरत है और मैं हमेशा यही सोचता था की अगर आज "मेरी माँ ना होती" तो शायद....
आपकी रचना दिल को वाकई में मर्माहत कर देनेवाली है ...
मुझे लगता है ये मेरे लिए ही लिखी गयी है |
दिल को छु देने वाली है आपकी रचना !
माँ केवल माँ होती है...हार्दिक शुभकामनाएं !
उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
.सच जिनकी माँ नहीं होती उनके दिल से पूछो, उनके घर देखो ..माँ की अहमियत समझ आती है ...
माँ को समर्पित बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ..आभार
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