जिसमे न हो बड़प्पन वो कैसा बड़ा है !
जो सामने खड़ा है वो शख्स कौन हैं ?
शीशे के हम नहीं कि टूट जायेंगे ;
फौलाद भी पूछेगा इतना सख्त कौन है ?
जिसमे न हो बड़प्पन वो कैसा बड़ा है !
ये रूप है बड़ो का तो बच्चा कौन है ?
हमको तो गिना दी हमारी खताएं सब ;
पर अपनी एक खता भी देखता कौन है ?
लो ख़त्म हुआ आज से सलाम व् दुआ ;
मुश्किल है अब पहचानना कि कौन कौन है ?
शिखा कौशिक
3 टिप्पणियां:
बढ़िया !
सच कहा
बढ़िया भाव |
आभार ||
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